व्हाइट हाउस: अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने गुरुवार को व्हाइट हाउस में फिलीपींस के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति फर्दिनांद मार्कोस जूनियर और जापान के प्रधानमंत्री फुमियो किशिदा के साथ ऐतिहासिक बैठक की। यह तीनों देशों के बीच पहली त्रिपक्षीय औपचारिक बैठक थी। इस बैठक को चीन की बढ़ती आक्रामकता और हिंद-प्रशांत क्षेत्र में उसके प्रभाव को कम करने के रूप में देखा जा रहा है।
बैठक के मुख्य बिंदु
- तीनों नेताओं ने चीन के ताइवान और दक्षिण चीन सागर में आक्रामक रुख, उत्तर कोरिया द्वारा परमाणु युद्ध की चुनौती और इसके रूस के साथ बढ़ते संबंधों पर चर्चा की।
- बाइडन ने जापान और फिलीपींस की सुरक्षा के लिए अमेरिका की प्रतिबद्धता दोहराई।
- तीनों देशों ने हिंद-प्रशांत क्षेत्र में स्वतंत्र और खुले समुद्री मार्गों को बनाए रखने पर सहमति जताई।
- उन्होंने सुरक्षा, अर्थव्यवस्था और जलवायु परिवर्तन जैसे मुद्दों पर सहयोग बढ़ाने का भी फैसला किया।
चीन को मिली चुनौती
यह बैठक चीन के लिए एक बड़ी चुनौती है। चीन लंबे समय से हिंद-प्रशांत क्षेत्र में अपना प्रभाव बढ़ाने की कोशिश कर रहा है। उसने ताइवान पर दावा किया है और दक्षिण चीन सागर में कई द्वीपों पर अपना कब्जा जमा लिया है। चीन ने जापान के साथ सेनकाकु द्वीप को लेकर भी विवाद किया है। फिलीपींस के साथ भी उसका दक्षिण चीन सागर में सीमा विवाद है।
हिंद-प्रशांत में मजबूत होगा गठबंधन
इस बैठक से हिंद-प्रशांत क्षेत्र में अमेरिका, जापान और फिलीपींस के बीच गठबंधन मजबूत होगा। तीनों देशों ने पहले ही क्वाड (चतुष्कोणीय सुरक्षा संवाद) जैसे गठबंधनों में सहयोग किया है। यह बैठक इस सहयोग को और मजबूत करेगी।
अमेरिका का बढ़ता प्रभाव
यह बैठक अमेरिका के बढ़ते प्रभाव का भी संकेत है। बाइडन प्रशासन ने चीन को रणनीतिक प्रतिद्वंद्वी के रूप में चिह्नित किया है और हिंद-प्रशांत क्षेत्र में अपनी प्रतिबद्धता को मजबूत किया है।
फिलीपींस की वापसी
यह बैठक फिलीपींस की अंतरराष्ट्रीय राजनीति में वापसी का भी संकेत है। मार्कोस जूनियर, जो अपने पिता, दिवंगत राष्ट्रपति फर्डिनेंड मार्कोस सीनियर के पदचिह्नों पर चल रहे हैं, ने अमेरिका के साथ संबंधों को मजबूत करने पर ध्यान केंद्रित किया है।