Monday, February 3, 2025
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लारेश्वर मंदिर में विप्र सेना ने किया बाल व्यास कथा वाचक श्रीकांत शर्मा का सम्मान

शिवपुराण कथा वाचन कर रहे श्रीकांत शर्मा ने झुंझुनू से जुड़ी आत्मीयता जताई

झुंझुनू। लारेश्वर मंदिर में आयोजित एक विशेष कार्यक्रम में विप्र सेना के प्रदेश उपाध्यक्ष महेश बसावतिया के नेतृत्व में देश के प्रख्यात मानस मर्मज्ञ और बाल व्यास कथा वाचक श्रीकांत शर्मा व महामंडलेश्वर अर्जुनदास का भव्य अभिनंदन किया गया। यह सम्मान समारोह उनके शिवपुराण कथा वाचन के दौरान आयोजित किया गया, जिसमें विप्र समाज के अनेक गणमान्य व्यक्तियों ने भाग लिया।

शिवपुराण कथा से गूंज उठा लारेश्वर मंदिर

बाल व्यास श्रीकांत शर्मा इन दिनों लारेश्वर मंदिर की व्यास पीठ से अपनी मधुर वाणी में शिवपुराण कथा का वाचन कर रहे हैं। उनकी कथाओं में आध्यात्मिक गहराई और भक्ति भाव की प्रधानता रही, जिसने श्रद्धालुओं को मंत्रमुग्ध कर दिया।

सम्मान से अभिभूत हुए कथा वाचक

सम्मान समारोह के दौरान अभिभूत होते हुए श्रीकांत शर्मा ने कहा, “झुंझुनू से मेरा आत्मीय संबंध रहा है। विप्र समाज ने जिस प्रेम और सम्मान के साथ मेरा अभिनंदन किया है, वह मेरे हृदय में सदैव अमिट रहेगा। इस मधुर क्षण को शब्दों में व्यक्त करना मेरे लिए कठिन है।” उन्होंने झुंझुनू के विप्र समाज के स्नेह को अपनी आध्यात्मिक यात्रा का महत्वपूर्ण हिस्सा बताया।

अभिनंदन समारोह में रही गरिमामयी उपस्थिति

इस अवसर पर विप्र समाज के प्रमुख सदस्य अनिल जोशी, राकेश सहल, श्याम सुंदर लाल पुरिया सहित कई अन्य गणमान्य लोग उपस्थित रहे। सभी ने श्रीकांत शर्मा के आध्यात्मिक योगदान की सराहना की और उनके मार्गदर्शन में आध्यात्मिक साधना के महत्व को रेखांकित किया।

विप्र समाज में दिखा एकजुटता का संदेश

महेश बसावतिया ने अपने संबोधन में कहा कि ऐसे कार्यक्रम समाज में आध्यात्मिक चेतना के साथ-साथ एकजुटता का भी संदेश देते हैं। उन्होंने विप्र समाज के युवाओं को अपने सांस्कृतिक मूल्यों से जुड़े रहने के लिए प्रेरित किया।

शिवपुराण कथा में उमड़ा श्रद्धालुओं का जनसैलाब

शिवपुराण कथा वाचन के दौरान लारेश्वर मंदिर में श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ पड़ी। भक्ति के इस पावन वातावरण में भक्तों ने शिव भक्ति में डूबकर कथा का रसास्वादन किया। मंदिर परिसर में भक्ति और अध्यात्म का अद्भुत संगम देखने को मिला।

यह आयोजन न केवल श्रीकांत शर्मा के सम्मान का प्रतीक रहा बल्कि झुंझुनू के सांस्कृतिक और धार्मिक गौरव को भी एक नई ऊंचाई प्रदान करने वाला साबित हुआ।

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