रूस-यूक्रेन जंग: अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने रूस-यूक्रेन जंग के बीच यूक्रेन को अमेरिकी ATACMS मिसाइल का इस्तेमाल करने की मंजूरी दे दी है। यह फैसला 31 मई को लिया गया और अमेरिकी अधिकारियों ने इसकी पुष्टि की। अमेरिकी अधिकारियों के मुताबिक, यूक्रेन इन हथियारों का इस्तेमाल खार्किव में रूसी सेना से बचाव के लिए कर सकता है। ATACMS मिसाइल की रेंज 300 किलोमीटर है, जिससे यूक्रेन रूसी सेना पर सीधे हमले कर सकता है। हालांकि, इन मिसाइलों का इस्तेमाल रूसी सीमा के अंदर नहीं किया जाना चाहिए।
अमेरिकी हथियारों का उपयोग
यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमिर जेलेंस्की ने खार्किव में रूसी हमलों के बाद अमेरिका और पश्चिमी देशों से उनके दिए गए हथियारों को रूस के खिलाफ इस्तेमाल करने की मंजूरी मांगी थी। अमेरिका ने पहले यूक्रेन को इन हथियारों का उपयोग रूस के खिलाफ करने से मना कर दिया था क्योंकि उन्हें डर था कि इससे रूस इसे सीधे अमेरिका का हमला मानेगा।
अमेरिकी अधिकारियों के अनुसार, यूक्रेन के अमेरिकी हथियारों के इस्तेमाल पर पहले भी कोई औपचारिक प्रतिबंध नहीं था, लेकिन पुतिन की सख्त प्रतिक्रियाओं के डर से इसकी अनुमति नहीं दी गई थी। अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन ने भी कहा था कि अमेरिका की विदेश नीति समय के साथ बदलती रहती है।
पुतिन की चेतावनी
रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने हाल ही में यूक्रेन को हथियार देने वाले देशों को चेतावनी दी थी। पुतिन ने कहा था कि यूक्रेन जिस देश से मिले हथियारों से रूस पर हमला करेगा, उस देश को गंभीर परिणाम भुगतने होंगे।
पश्चिमी देशों का समर्थन
पश्चिमी देशों ने भी यूक्रेन को रूस के खिलाफ उनके हथियारों का इस्तेमाल करने की मंजूरी दी है। सबसे पहले लातविया के राष्ट्रपति एडगर्स रिंकेविक्स ने इसकी इजाजत दी थी, जिसके बाद ब्रिटेन और स्वीडन ने भी यही किया।
ब्रिटेन ने यूक्रेन को लंबी दूरी की स्टॉर्म शैडो मिसाइलें भेजी हैं, जिनकी रेंज 250 किलोमीटर है। स्वीडन ने भी यूक्रेन को सेल्फ एक्टिव तोपों की टेक्नोलॉजी भेजी है। 30 मई को यूक्रेन ने रूस के अंदर ब्रिटेन की स्टॉर्म शैडो मिसाइलें दागीं।
अंतर्राष्ट्रीय प्रतिक्रियाएँ
फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों ने पिछले महीने कहा था कि पश्चिमी देश यूक्रेन में सेना भेज सकते हैं। इस पर रूस ने कड़ी आपत्ति जताई और न्यूक्लियर जंग के लिए तैयार रहने की धमकी दी। मैक्रों के बयान को जर्मनी समेत कई पश्चिमी देशों ने खारिज कर दिया था।