चिड़ावा: आदर्श सेवा प्रतिष्ठान में चल रही सात दिवसीय श्रीरामकथा ‘रघुनायक गुणगान’ के दूसरे दिन का आयोजन भक्ति और श्रद्धा से परिपूर्ण माहौल में संपन्न हुआ। यह आयोजन गरुडध्वजाचार्य की पुण्यस्मृति को समर्पित है, जिसमें सैकड़ों श्रद्धालु प्रतिदिन सम्मिलित होकर धार्मिक लाभ ले रहे हैं। गुरुवार को कथा वाचक कोसलेंद्रदास ने देवर्षि नारद के मोह प्रसंग और प्रभु श्रीराम के जन्म की कथा प्रस्तुत की, जिससे उपस्थित जनसमूह मंत्रमुग्ध हो गया।
कोसलेंद्रदास, जो रामानंदाचार्य राजस्थान संस्कृत विश्वविद्यालय, जयपुर में दर्शन विभाग के अध्यक्ष हैं, ने अपने प्रवचन में श्रीराम के अवतरण की आवश्यकता और उद्देश्य पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि जब संसार में अधर्म बढ़ जाता है और मानवता संकट में पड़ जाती है, तब ईश्वर स्वयं मानव रूप में अवतरित होकर धर्म की पुनः स्थापना करते हैं। राम के अवतार का उद्देश्य केवल राक्षसों का संहार नहीं, बल्कि मानवीय मूल्यों जैसे मर्यादा, त्याग, करुणा और सेवा की पुनर्स्थापना था।
उन्होंने श्रीराम को एक आदर्श जीवन का प्रतीक बताते हुए कहा कि वे एक आदर्श पुत्र, भ्राता, पति और राजा थे, जिनके जीवन से आज भी मानव समाज को दिशा मिलती है। उन्होंने बताया कि राज्य के सर्वोच्च पद पर बैठकर भी राम ने सदैव जनकल्याण को प्राथमिकता दी, जो आज की व्यवस्था के लिए भी एक प्रेरणा है।
कथा के दौरान नारद मोह प्रसंग की व्याख्या करते हुए उन्होंने समझाया कि यह प्रसंग केवल कथा नहीं, बल्कि जीवन में अहंकार के नाश और आत्मबोध की ओर ले जाने वाली शिक्षा है। उन्होंने कहा कि जब तक व्यक्ति मोह और गर्व से ग्रसित है, तब तक उसे सच्चे ज्ञान की प्राप्ति नहीं हो सकती।
कथा का सबसे भावुक क्षण उस समय आया जब राम जन्म का प्रसंग प्रस्तुत किया गया। कथा स्थल ‘जय सियाराम’ के जयघोष से गूंज उठा। महिलाओं ने मंगल गीत गाए, श्रद्धालुओं ने पुष्पवर्षा की और सम्पूर्ण वातावरण अयोध्या जैसी अनुभूति से भर गया। कोसलेंद्रदास ने कहा कि राम केवल अयोध्या में नहीं, बल्कि प्रत्येक उस हृदय में जन्म लेते हैं, जो पवित्र, श्रद्धापूर्ण और अहंकाररहित होता है।
इस अवसर पर आयोजन समिति के संरक्षक अवधबिहारीदास ने बताया कि शुक्रवार की कथा में श्रीराम के विश्वामित्र संग वनगमन, ताड़का वध, अहल्या उद्धार तथा जनकपुरी में सीता संग विवाह जैसे प्रसंगों का वर्णन किया जाएगा। उन्होंने श्रद्धालुओं से अपील की कि वे दोपहर एक बजे शुरू होने वाली कथा में समय पर उपस्थित होकर पुण्य लाभ प्राप्त करें।
कार्यक्रम में चिड़ावा सहित आसपास के ग्रामीण क्षेत्रों से श्रद्धालुओं की बड़ी भागीदारी रही। आयोजकों और सेवकों ने श्रद्धालुओं की सेवा और व्यवस्था को सुचारू बनाए रखने में सक्रिय भूमिका निभाई।