इस्लामाबाद: पाकिस्तान के पूर्व विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो जरदारी, जो कुछ समय पहले तक भारत विरोधी बयानों में सबसे आगे थे, अब वैश्विक हालातों के दबाव में अपना रुख बदलते नजर आ रहे हैं। इस्लामाबाद स्थित एक नीति अनुसंधान संस्थान में “दुनिया के लिए आतंकवाद के खिलाफ पाकिस्तान की जंग” विषय पर भाषण देते हुए उन्होंने भारत से रिश्तों को बेहतर बनाने और संवाद बढ़ाने की अपील की।
बिलावल ने कहा कि भारत और पाकिस्तान को आतंकवाद के खिलाफ साझा प्रयास करने चाहिए और यह समय एकजुटता का है, न कि विरोध का। उन्होंने यह भी कहा कि दोनों देशों को पुराने मतभेदों को पीछे छोड़कर एक अरब से अधिक आबादी को आतंकवाद के खतरे से बचाने के लिए मिलकर काम करना चाहिए।
बिलावल का यह बयान ऐसे समय में सामने आया है जब पाकिस्तान अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अलग-थलग पड़ गया है। पुलवामा आतंकी हमले के बाद दुनिया के कई देशों ने पाकिस्तान द्वारा आतंक को समर्थन देने की आलोचना की है और भारत के साथ एकजुटता व्यक्त की है। वहीं, सिंधु जल समझौते को लेकर भारत की रणनीति से पाकिस्तान के भीतर पानी की गंभीर समस्या पैदा हो गई है।
बिलावल भुट्टो ने अपने बयान में यह भी कहा कि कश्मीर मुद्दे का समाधान वहां के लोगों की इच्छाओं के अनुरूप होना चाहिए। हालांकि, यह बात उन्होंने उस समय कही जब खुद पाकिस्तान पर दुनिया भर में आतंकवाद को संरक्षण देने के आरोप लगते रहे हैं। उनके इस वक्तव्य को विडंबना ही कहा जा सकता है कि एक ऐसा देश जो दशकों से आतंक को पालने-पोसने के लिए जाना जाता है, अब ‘आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई’ की बात कर रहा है।
सिंधु जल संधि पर भी उन्होंने भारत को घुमा-फिराकर चेतावनी देने की कोशिश की और कहा कि पानी का इस्तेमाल हथियार के रूप में नहीं किया जाना चाहिए। इससे पहले भी वे इस मुद्दे पर भारत को कई बार धमका चुके हैं।
विशेषज्ञों के अनुसार, यह पाकिस्तान की रणनीतिक विफलताओं और वैश्विक मंच पर भारत की कूटनीतिक सफलता का परिणाम है कि अब पाकिस्तान के नेता बातचीत की गुहार लगाने पर मजबूर हो गए हैं। बिलावल का यह बदला रुख उसी हताशा का संकेत है।