भारत की अर्थव्यवस्था: कोरोना महामारी के बाद भारतीय अर्थव्यवस्था ने लगातार 6 से 8 प्रतिशत की जीडीपी ग्रोथ हासिल की। हालांकि, वित्त वर्ष 2024-25 की दूसरी तिमाही में विकास दर घटकर 5.4 प्रतिशत रह गई, जो पिछले सात तिमाहियों का सबसे निचला स्तर है। इस गिरावट की मुख्य वजह मुद्रास्फीति में तेजी रही, जिसका सीधा असर उपभोक्ता खपत पर पड़ा।
केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने इसे ‘अस्थायी झटका’ बताते हुए भरोसा दिलाया कि आने वाली तिमाहियों में विकास दर में मजबूती देखने को मिलेगी। रिजर्व बैंक के अर्थशास्त्रियों ने भी फेस्टिव सीजन और ग्रामीण मांग में सुधार को आर्थिक रिकवरी का प्रमुख कारण बताया है।
2025: आर्थिक सुधार की उम्मीदें
विशेषज्ञों का मानना है कि 2024-25 की तीसरी तिमाही में विकास दर में सुधार होगा। फेस्टिव सीजन में बिक्री में इजाफा और ग्रामीण अर्थव्यवस्था की मजबूत मांग इसके संकेत हैं। यह सकारात्मक रुझान वित्त वर्ष 2025-26 के दौरान भारत की आर्थिक गति को नई ऊंचाई पर ले जाने में मदद करेगा।
फरवरी एमपीसी: ब्याज दरों पर रहेगा सबकी नज
आर्थिक विकास को गति देने के लिए आरबीआई की फरवरी 2025 की मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की बैठक बेहद अहम होगी। यह बैठक नए गवर्नर संजय मल्होत्रा की अध्यक्षता में पहली बार होगी। बैठक केंद्रीय बजट के तुरंत बाद आयोजित की जाएगी, जिसमें मोदी सरकार का तीसरा आर्थिक रोडमैप पेश किया जाएगा।
डोनाल्ड ट्रंप के अमेरिकी राष्ट्रपति बनने और वैश्विक तनाव को देखते हुए भारतीय रिजर्व बैंक की नीति देश की आर्थिक दिशा तय करने में अहम भूमिका निभाएगी।
2025-26 में जीडीपी ग्रोथ 7% के पार जाने की संभावना
रिजर्व बैंक के अनुसार, 2024-25 के लिए वास्तविक जीडीपी ग्रोथ 6.6 प्रतिशत और 2025-26 की पहली तिमाही में 6.9 प्रतिशत रहने का अनुमान है। जून तिमाही तक यह ग्रोथ 7.3 प्रतिशत तक पहुंच सकती है। विशेषज्ञों का मानना है कि मुद्रास्फीति में कमी और उपभोक्ता वस्तुओं की बढ़ती खपत निजी निवेश को बढ़ावा देगी, जिससे विकास दर को नई गति मिलेगी।
भारत की आर्थिक बुनियाद मजबूत
अधिकांश अर्थशास्त्रियों का मानना है कि भारत की आर्थिक बुनियाद मजबूत है और यहां विकास की असीम संभावनाएं हैं। इक्रा की मुख्य अर्थशास्त्री अदिति नायर ने कहा कि भू-राजनीतिक तनाव और वैश्विक अनिश्चितताओं के बावजूद भारत का आर्थिक दृष्टिकोण उज्ज्वल है।
2026 का केंद्रीय बजट रहेगा महत्वपूर्ण
आगामी केंद्रीय बजट भारतीय अर्थव्यवस्था की दिशा तय करेगा। विशेषज्ञों का मानना है कि यह बजट सरकार की आर्थिक नीतियों और राजकोषीय सुधारों को स्पष्ट करेगा। हालांकि, विदेशी मुद्रा बाजार और रुपए की स्थिति पर भी नजर रखनी होगी, जो वैश्विक कारकों के चलते उतार-चढ़ाव में रहेगा।