Friday, November 22, 2024
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पीओके का मुद्दा छाया चुनाव प्रचार में: योगी आदित्यनाथ के बयानों ने बढ़ाई सियासी हलचल

देश के चुनाव प्रचार में पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (पीओके) का मुद्दा इस समय प्रमुखता से छाया हुआ है। गृह मंत्री अमित शाह और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ लगातार अपनी चुनावी रैलियों में पीओके का जिक्र कर रहे हैं, जिससे न केवल भारत की सियासत में बल्कि पाकिस्तान में भी हलचल मची हुई है।

योगी आदित्यनाथ का ऐलान

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने महाराष्ट्र के पालघर में आयोजित एक चुनावी रैली में बड़ा बयान दिया। उन्होंने पीओके की भारत में वापसी की तारीख का ऐलान करते हुए कहा कि अगले छह महीने में यह क्षेत्र भारत का हिस्सा होगा। यह पहली बार है जब सत्ताधारी दल के किसी बड़े नेता ने पीओके को लेकर इतनी स्पष्ट समय सीमा दी है। योगी आदित्यनाथ के इस बयान से न केवल भारत में बल्कि पाकिस्तान में भी सियासी हलचल बढ़ गई है।

अमित शाह का अभियान

योगी आदित्यनाथ के इस बयान से पहले और बाद में, गृह मंत्री अमित शाह भी अपनी चुनावी रैलियों में पीओके का मुद्दा प्रमुखता से उठाते रहे हैं। 17 मई को रायबरेली, 18 मई को ललितपुर और 19 मई को बेतिया में आयोजित जनसभाओं में शाह ने स्पष्ट रूप से कहा कि पीओके की वापसी हर हिंदुस्तानी का सपना है और बिना पीओके के जम्मू-कश्मीर अधूरा है। अमित शाह के अनुसार, यह भारत का अधिकार है और इसे लेकर हम कोई समझौता नहीं करेंगे।

राजनाथ सिंह का बयान

देश के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने भी एक चुनावी रैली में कहा था कि वह दिन दूर नहीं जब पीओके के लोग स्वयं भारत में शामिल होने की मांग करेंगे। यह बयान उस समय आया है जब पीओके में पाकिस्तान के खिलाफ असंतोष और विद्रोह की चिंगारी सुलग रही है। वहां की जनता पाकिस्तान की बढ़ती महंगाई और अत्याचार से त्रस्त है, और अब वे पाकिस्तान के साथ नहीं रहना चाहते।

पीओके में विद्रोह

पीओके में वर्तमान स्थिति अत्यंत संवेदनशील है। वहां के लोग पाकिस्तान सरकार और फौज के अत्याचारों से तंग आ चुके हैं। महंगाई और बेरोजगारी ने आम जनता का जीवन दूभर कर दिया है, जिससे वहां विद्रोह की स्थिति उत्पन्न हो गई है। पाकिस्तान की फौज और पुलिस विद्रोह को दबाने के लिए अत्याचार पर उतर आई है, लेकिन जनता के आक्रोश को दबाना उनके लिए मुश्किल हो रहा है।

चुनाव परिणाम और पीओके की तकदीर

भाजपा को अब 4 जून का इंतजार है, क्योंकि उसी दिन हिंदुस्तान की जनता का फैसला सामने आएगा। चुनावी परिणाम के बाद पीओके की तकदीर का फैसला भी किया जाएगा। यदि भाजपा की सरकार बनती है, तो पार्टी द्वारा पीओके को भारत में शामिल करने की दिशा में ठोस कदम उठाए जा सकते हैं।

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