Sunday, July 27, 2025
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पिलानी ब्लॉक के बदनगढ़ में भी सरकारी स्कूल का भवन जर्जर, मौत के साये में पढ़ते हैं नौनिहाल, नये भवन के लिए जारी नहीं हुआ बजट

पिलानी: राजस्थान सरकार के शिक्षा विभाग द्वारा जहां एक ओर शिक्षा में सुधार के लिए हर साल कई तरह की योजनाओं की घोषणा की जाती है, वहीं दूसरी ओर स्कूल भवनों की जर्जर स्थिति पर कोई ठोस कदम नहीं उठाया जा रहा है।

पिलानी ब्लॉक का राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय बदनगढ़ इसका जीता-जागता उदाहरण है। इस विद्यालय में बच्चे जान जोखिम में डाल कर पढ़ाई करने को विवश हैं। स्कूल की स्थापना 1960 में की गई थी और इसका भवन भी कई दशक पुराना हो चुका है। भवन की दीवारों में बड़ी-बड़ी दरारें हैं, प्लास्टर जगह-जगह से उखड़ चुका है और बरसात के मौसम में छत से पानी टपकता रहता है। सीलन और नमी के कारण कमरों में पढ़ाई करना बहुत मुश्किल हो जाता है।

विद्यालय की प्रिंसिपल मधु शर्मा ने बताया कि स्कूल भवन काफी जर्जर हो चुका है और बारिश में इसके कभी भी गिरने की आशंका बनी रहती है। उन्होंने बताया कि कई बार मरम्मत और नए भवन की मांग की जा चुकी है, लेकिन अब तक कोई कार्रवाई नहीं हुई है।

ग्रामीणों ने बताया कि पिछले शिक्षा सत्र में एसडीएमसी की मीटिंग में प्रस्ताव पारित कर विद्यालय भवन के 10 में से अत्यंत जर्जर हो चुके 4 कक्ष गिरवा दिये गये थे। शेष 6 में से 2 कमरे अब भी ऐसे हैं, जहां अन्दर बैठ कर बच्चों को पढ़ाना खतरनाक हो सकता है। लिहाजा स्कूल के बरामदों और टिन शेड के नीचे कक्षाएं संचालित करनी पड़ रही हैं। उन्होंने बताया कि नये भवन के लिए भूमि का आवंटन हो चुका है, और 2 कमरे भी वहां बनाए गए हैं। लेकिन सिर्फ 2 कमरों में 12वीं कक्षा तक का विद्यालय संचालित नहीं किया जा सकता।

प्रिंसिपल मधु शर्मा ने बताया कि 2018 में विद्यालय 12 वीं कक्षा तक क्रमोन्नत किया गया था और कुल 130 विद्यार्थियों का यहां नामांकन है। उन्होंने बताया कि नामांकन बढ़ाया जा सकता है, लेकिन अभिभावकों को विद्यालय की जर्जर स्थिति के चलते बच्चों को यहां पढ़ाने के लिए समझाने में दिक्कतों का सामना करना पड़ता है।

स्कूल के जमींदोज होने की आशंका के चलते एसडीएमसी नहीं ले रही कोई निर्णय

स्कूल डेवलपमेंट एंड मॉनिटरिंग कमेटी के सदस्यों ने बताया कि 4 कमरों को गिराने के बाद नये कमरे बनवाने का प्रस्ताव शिक्षा विभाग को भेज दिया गया था, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हो रही। अब अगर बाकी कमरों को भी गिरा दिया गया तो यहां कुछ नहीं बचेगा और बच्चे पढ़ेंगे कहां फिर। यही वजह है कि भवन के जर्जर होने के बाद भी एसडीएमसी द्वारा इन कमरों को गिराने का प्रस्ताव शिक्षा विभाग को नहीं भिजवाया जा रहा है।

सीबीईओ ने बताया वैकल्पिक व्यवस्था पर विचार किया जा रहा है

सीबीईओ सुमन चौधरी ने बताया कि विद्यालय की जर्जर स्थिति के बारे में उच्चाधिकारियों को अवगत करवाया जा चुका है और नये भवन के लिए बजट की मांग भी की गई है। बजट जारी होने तक वैकल्पिक व्यवस्थाओं पर विचार किया जा रहा है।

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