मॉस्को: अफगानिस्तान की तालिबान सरकार को पहली बार अंतरराष्ट्रीय मान्यता मिल गई है। रूस ने गुरुवार को तालिबान शासन को आधिकारिक रूप से मान्यता देकर एक नया कूटनीतिक अध्याय शुरू किया। 2021 में सत्ता में आने के बाद अब तक तालिबान को किसी भी देश ने मान्यता नहीं दी थी, लेकिन रूस ने यह बड़ा कदम उठाकर तालिबान को न केवल औपचारिक मान्यता दी, बल्कि उसे अपने ‘गैरकानूनी संगठनों’ की सूची से भी हटा दिया है।
रूसी विदेश मंत्रालय ने जानकारी दी कि उसने अफगानिस्तान के नए नामित राजदूत गुल हसन हसन से आधिकारिक दस्तावेज स्वीकार किए हैं, जो राजनयिक मान्यता का प्रतीक माने जाते हैं। मंत्रालय के अनुसार, इस मान्यता से दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय संबंधों को मजबूती मिलेगी और यह क्षेत्रीय स्थिरता की दिशा में भी सहायक हो सकती है।
अफगानिस्तान के विदेश मंत्रालय ने रूस के इस फैसले को ऐतिहासिक करार दिया है। तालिबान के विदेश मंत्री आमिर खान मुत्ताकी ने रूसी निर्णय का स्वागत करते हुए कहा कि यह कदम उन अन्य देशों के लिए एक उदाहरण हो सकता है, जो अब तक अफगान सरकार को मान्यता देने से हिचक रहे हैं। उन्होंने उम्मीद जताई कि इससे अफगानिस्तान को अंतरराष्ट्रीय मंच पर पहचान मिलने की प्रक्रिया को गति मिलेगी।
वर्तमान में अमेरिका, यूरोपीय संघ और अधिकांश पश्चिमी देशों ने तालिबान शासन को मान्यता नहीं दी है। इन देशों की आपत्तियां मुख्यतः महिलाओं के अधिकार, मानवाधिकारों की स्थिति और लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं की कमी को लेकर हैं। रूस के इस कदम को इन पश्चिमी देशों के लिए एक स्पष्ट संदेश के रूप में देखा जा रहा है कि वैश्विक कूटनीति में पारंपरिक धारणाएं और संतुलन अब परिवर्तित हो रहे हैं।
विशेषज्ञों का मानना है कि रूस की यह रणनीतिक पहल न केवल अफगानिस्तान में अपने प्रभाव को बढ़ाने की दिशा में है, बल्कि यह अंतरराष्ट्रीय राजनीति में शक्ति संतुलन को पुनः परिभाषित करने की कोशिश भी है। रूस का यह रुख भविष्य में अन्य देशों को भी तालिबान के साथ अपने संबंधों पर पुनर्विचार करने के लिए प्रेरित कर सकता है।