नई दिल्ली: नेशनल पेमेंट्स कॉरपोरेशन आफ इंडिया (एनपीसीआइ) और सड़क परिवहन मंत्रालय ने फास्टैग से जुड़े नियमों में महत्वपूर्ण बदलाव किए हैं, जो आज यानी सोमवार से लागू हो गए हैं। इन नए नियमों का उद्देश्य टोल भुगतान प्रक्रिया को अधिक सुव्यवस्थित करना, विवादों को कम करना और धोखाधड़ी पर अंकुश लगाना है।
फास्टैग नियमों में बदलाव: जुर्माना और विवाद निवारण
नए नियमों के तहत, अब कम बैलेंस, देरी से भुगतान करने या ब्लैकलिस्टेड फास्टैग वाले यूजर्स पर अतिरिक्त जुर्माना लगाया जाएगा। यदि वाहन के फास्टैग में पर्याप्त बैलेंस नहीं है और भुगतान में देरी होती है, तो संबंधित वाहन पर जुर्माना लगाया जाएगा। यह नियम उन यूजर्स के लिए महत्वपूर्ण है, जो टोल भुगतान में देरी करते हैं या जिनके टैग ब्लैकलिस्टेड हैं।

60 मिनट से अधिक निष्क्रियता पर अस्वीकरण
इसके अलावा, यदि वाहन टोल पार करने से पहले 60 मिनट से अधिक समय तक फास्टैग निष्क्रिय रहता है, तो सिस्टम उस लेनदेन को अस्वीकार कर देगा। यदि वाहन के टोल पार करने के बाद 10 मिनट तक फास्टैग निष्क्रिय रहता है, तो भी लेनदेन को अस्वीकार कर दिया जाएगा। इस बदलाव से टोल संग्रह प्रणाली में और अधिक पारदर्शिता और स्पष्टता आएगी।
15 मिनट बाद शुल्क में बदलाव
नए दिशा-निर्देशों के तहत, यदि टोल लेन में टोल रीडर से गुजरने के 15 मिनट बाद लेनदेन अपडेट होता है, तो फास्टैग यूजर को अतिरिक्त शुल्क देना पड़ सकता है। यह कदम टोल भुगतान प्रक्रिया को अधिक गति देने और विवादों को कम करने के लिए उठाया गया है।

चार्जबैक प्रक्रिया और कूलिंग पीरियड
नए नियमों के अंतर्गत चार्जबैक प्रक्रिया और कूलिंग पीरियड की व्यवस्था भी की गई है। अब, यदि किसी लेनदेन में देरी होती है और फास्टैग खाते में पर्याप्त बैलेंस नहीं होता है, तो टोल ऑपरेटर को इसके लिए जिम्मेदार ठहराया जाएगा। हालांकि, यदि राशि कट जाती है, तो यूजर 15 दिन के भीतर अपनी शिकायत दर्ज कर सकते हैं। इससे पहले, यूजर टोल बूथ पर अपने फास्टैग को रिचार्ज कर सकते थे और बिना किसी अतिरिक्त शुल्क के आगे बढ़ सकते थे।