जयपुर: राजस्थान के झालावाड़ जिले के पिपलोदी गांव में एक सरकारी स्कूल की छत गिरने से सात मासूम बच्चों की मौत हुई। इस दर्दनाक हादसे के अगले ही दिन राज्य के शिक्षा मंत्री मदन दिलावर भरतपुर दौरे पर पहुंचे। यहां एक कार्यक्रम के दौरान उनका स्वागत हुआ, जिसके बाद सोशल मीडिया पर उनकी तस्वीरें वायरल हो गईं और आलोचनाओं का दौर शुरू हो गया।
इस विवाद पर प्रतिक्रिया देते हुए दिलावर ने साफ किया कि उन्होंने किसी प्रकार का स्वागत स्वीकार नहीं किया। उन्होंने कहा कि मेरे जीवन में माला और स्वागत सत्कार का कोई स्थान नहीं है। वर्ष 1990 में मैंने संकल्प लिया था कि जब तक अयोध्या में भगवान राम का मंदिर नहीं बनेगा, तब तक माला नहीं पहनूंगा। अब जब राम मंदिर बन गया है, तो मैंने नया संकल्प लिया है कि मथुरा में भगवान कृष्ण की जन्मभूमि पर मंदिर निर्माण होने तक माला नहीं पहनूंगा।
दिलावर ने कहा कि पिपलोदी की घटना अत्यंत हृदयविदारक थी। वे खुद वहां पहुंचे, पीड़ित परिवारों से मुलाकात की और उनकी पीड़ा को साझा किया। उन्होंने यह भी कहा कि इस तरह के समय में जाकर कोई स्वागत करवाए, यह कल्पना भी नहीं की जा सकती।
भरतपुर दौरे को लेकर उन्होंने स्पष्ट किया कि वे एक घुमंतू समुदाय के छात्रावास में बच्चों से मिलने गए थे। जैसे ही वहां बच्चों ने ढोल बजाना शुरू किया, मैंने तुरंत मना कर दिया और कहा कि हाल ही में एक बड़ा हादसा हुआ है, इसलिए ढोल न बजाएं। बच्चों ने तुरंत ढोल बजाना बंद कर दिया और फूलों की पंखुड़ियों को भी फेंकना रोक दिया।
मंत्री ने यह भी बताया कि भरतपुर में उनका दूसरा कार्यक्रम एक नव निर्वाचित प्रधान के पदभार ग्रहण से जुड़ा था। वहां पहले से कुछ मालाएं रखी थीं, जिन्हें उन्होंने लेने से इनकार कर दिया। उन्होंने कहा कि कुछ वायरल तस्वीरों में जो माला दिख रही है, वह भ्रामक है, क्योंकि मैंने माला नहीं पहनी।
यह पूरा मामला सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो गया, जिसके चलते मंत्री को सफाई देनी पड़ी। वहीं, विपक्षी दलों ने इस मुद्दे को लेकर सरकार की संवेदनशीलता पर सवाल उठाए हैं। हालांकि दिलावर ने स्पष्ट कर दिया कि उनके लिए बच्चों की मौत से बड़ा कोई मुद्दा नहीं हो सकता, और उन्होंने हर कदम पर संवेदनशीलता बरती है।