Friday, June 20, 2025
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चिड़ावा में पागल सांड का तांडव: पकड़ने के सारे प्रयास विफल, 6 घंटे में आधा दर्जन लोगों को किया घायल, गौ रक्षा दल ने अथक प्रयासों के बाद पकड़ा

शुक्रवार शाम को चिड़ावा में एक आवारा सांड ने जम कर आतंक मचाया। शहर की अरड़ावतिया कॉलोनी में शाम 4:30 बजे बाद इस पागल सांड ने लगभग आधा दर्जन लोगों को घायल कर दिया, जिनमें से कुछ गम्भीर रूप से भी घायल हुए हैं। पागल सांड को आखिरकार गौ रक्षा दल के सदस्यों ने रात 10:30 बजे चिड़ावा कॉलेज ग्राउंड के पास एक बाड़े में घेर कर काबू किया।

घटना से यह भी सामने आया कि प्रशासनिक अमला इस तरह की किसी भी घटना के लिए बिल्कुल तैयार नहीं है, और ना ही प्रशासन के पास पर्याप्त संसाधन हैं कि ऐसे किसी हादसे के होने पर तुरन्त काबू पाया जा सके।

पागल सांड को पकड़ने के लिए गौ रक्षा दल के सदस्यों ने घंटों तक अथक प्रयास किए, तब जाकर 6 घंटे बाद उसे काबू किया जा सका। सांड को पकड़ने के लिए चलाए गए अभियान में गौ रक्षा दल के कुछ सदस्य भी चोटिल हो गए।

सांड के पागल होने की सूचना पर नगरपालिका की फायर ब्रिगेड की गाड़ी और पुलिस भी मौके पर पहुंच गई थी लेकिन प्रशासनिक प्रयास इस मामले में नाकाफी साबित हुए। फायर ब्रिगेड की गाड़ी से पानी की बौछार डाल कर भी सांड को शांत करने की कोशिश की गई, लेकिन वह शांत नहीं हुआ। यहां तक कि गौ रक्षा दल के सदस्यों ने उत्पात मचा रहे सांड को बेहोश करने के लिए इंजेक्शन भी लगाया, लेकिन इससे भी कोई असर नहीं हुआ।

अरड़ावतिया कॉलोनी और चुंगी चौकी के पास सांड के उत्पात से लोगों के घायल होने के बाद गौ रक्षा दल के सदस्य फायर ब्रिगेड और जेसीबी की मदद से बमुश्किल उसे घेर कर झुंझुनू रोड़ की तरफ ले गए। पागल सांड को पकड़ने की कवायद में 5-6 रस्से भी टूट गए।

कस्बे में बढ़ते जा रहे हैं आवारा पशु

कस्बे में बीते कुछ वर्षों में आवारा पशुओं की संख्या में बेतहाशा वृद्धि हुई है। आलम यह है कि आस-पास के गांवों से भी ग्रामीण अपनी फसलों को बचाने के उद्देश्य से इन सांडों को कस्बे की सीमा तक छोड़ जाते हैं। चिड़ावा में गौ शाला और नन्दी शाला दोनों हैं, लेकिन इंतजामात इतने नहीं हैं कि शहर में चारों तरफ घूमते इन सांडों को रखा जा सके। प्रशासनिक उदासीनता भी शहर में इन आवारा पशुओं की संख्या बढ़ने का एक कारण है। नगरपालिका स्तर पर आज तक इन पर काबू पाने के लिए कोई कार्य योजना नहीं बनाई गई है। यही कारण है कि शहर के लगभग सभी वार्डों में इधर-उधर घूमते और उत्पात मचाते आवारा सांड दिखाई पड़ते हैं, जिनके हमलों के चलते कई बार लोगों के प्राण संकट में आए हैं और वे घायल भी हुए हैं।

गौ रक्षा दल है शाबाशी का पात्र

शुक्रवार शाम को शहर में तांडव मचाने वाले सांड को पकड़ने के लिए गौ रक्षा दल, चिड़ावा के सदस्य शाबाशी के पात्र हैं। सेवा भावी इन युवाओं के अलावा ऐसा कोई नहीं था, जो सांड को पकड़ने के लिए कुछ कर पाया हो। यहां तक कि प्रशासन भी मूक दर्शक ही बना रहा। सीमित संसाधनों के बावजूद सांड को पकड़ने के लिए गौ रक्षा दल के अभिषेक ‘बिट्टू’ पारीक, देव योगी, डीके, तुलसी, सुमित सोनी, अनूप भाटी, मनोज अडुका, मोनू भारतीय, अनुराग, बाबू वर्मा, आकाश योगी आदि सदस्यों ने अभियान चलाया था। इस प्रयास में गौ रक्षा दल के तुलसी, बिट्टू पारीक सहित आधा दर्जन गौरक्षकों के चोटें आई हैं।

अभिषेक ‘बिट्टू’ पारीक ने बताया कि अगर प्रशासन समय पर सक्रियता दिखाते हुए किसी तरह का सहयोग करता तो सांड को काफी पहले ही काबू किया जा सकता था।

आपको बता दें कि बीते 10 वर्षों से भी अधिक समय से गौ रक्षा दल चिड़ावा और आस-पास के अन्य क्षेत्रों में बेसहारा और घायल गौ वंश के लिए काम कर रहा है। कई बार विपरीत परिस्थितियों में सीमित संसाधनों के बावजूद गौ रक्षा दल के सदस्य इस कार्य के लिए अपना योगदान देते हैं। गौ रक्षा दल द्वारा कई बार एम्बुलेंस की मांग की गई है, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हो रही।

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