Sunday, July 27, 2025
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कंबोडिया-थाईलैंड युद्ध ने पकड़ा भयानक मोड़, ट्रंप कर रहे मध्यस्थता की कोशिश, दोनों देशों में 500 स्कूल बंद

कंबोडिया/थाइलैंड: दक्षिण-पूर्व एशिया में कंबोडिया और थाईलैंड के बीच जारी युद्ध ने अब गंभीर रूप धारण कर लिया है। दोनों देशों की सीमा पर दिन-रात भारी गोलाबारी जारी है। इस बीच अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने दोनों देशों के बीच मध्यस्थता का प्रयास करते हुए कंबोडिया और थाईलैंड के शीर्ष नेताओं से फोन पर बातचीत की है। उन्होंने कहा कि यह संघर्ष उन्हें भारत-पाकिस्तान के बीच टकराव की याद दिलाता है, जिसे सफलतापूर्वक रोका गया था। ट्रंप ने यह भी स्पष्ट किया है कि अमेरिका तब तक कोई व्यापारिक समझौता नहीं करेगा, जब तक युद्ध नहीं रुकता।

ट्रंप ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘ट्रुथ’ पर पोस्ट कर जानकारी दी कि उन्होंने पहले कंबोडिया के प्रधानमंत्री से बातचीत की और उसके बाद थाईलैंड के कार्यवाहक प्रधानमंत्री से संपर्क साधा। दोनों नेताओं ने युद्धविराम और शांति की इच्छा जताई है। ट्रंप ने दोनों देशों से आग्रह किया है कि वे तुरंत संघर्ष रोकने की दिशा में ठोस कदम उठाएं।

इधर, जमीन पर हालात बेहद चिंताजनक बने हुए हैं। थाईलैंड की ओर से जहां लड़ाकू विमान और भारी तोपों से हमले किए जा रहे हैं, वहीं कंबोडिया ने सीमा पर बारूदी सुरंगें बिछा दी हैं। थाईलैंड की सेना सीमा के अंदर घुसने में असमर्थ हो रही है। 24 घंटे के भीतर कंबोडिया ने रूसी तकनीक वाले बीएम-21 रॉकेट सिस्टम और आरएम-70 मल्टीपल लॉन्च रॉकेट से जवाबी हमला कर थाईलैंड को नुकसान पहुंचाया है। 25 जुलाई को ओडारमीचे प्रांत में कंबोडियाई सैनिकों को रॉकेट लॉन्चर ट्रकों पर ले जाते हुए भी देखा गया।

थाईलैंड की वायुसेना ने नागरिकों को बॉर्डर से 20 से 40 किलोमीटर दूर रहने की सलाह दी है और सोशल मीडिया पर सैन्य गतिविधियों की जानकारी साझा करने से मना किया है। कंबोडिया द्वारा जब मेड इन रूस रॉकेट दागे गए, तो जवाब में थाईलैंड ने ड्रोन हमले किए। थाई सेना ने दावा किया कि उन्होंने प्री फियर मंदिर के पास कंबोडिया के हथियार डिपो को निशाना बनाकर हमले किए। एक वीडियो भी सामने आया है जिसमें पांच ठिकानों पर बम गिरते दिख रहे हैं।

स्थिति इतनी विकट हो गई है कि थाईलैंड ने सीमा से करीब 1 लाख 30 हजार लोगों को हटा दिया है। सुरीन, उबर्न रत्चथानी और बरीराम जैसे इलाकों को खाली करा लिया गया है। कंबोडिया ने आठ प्रांतों में मार्शल लॉ लागू कर दिया है। थाईलैंड ने फिलहाल सीज़फायर के किसी भी प्रस्ताव से इनकार किया है।

इस संघर्ष के कारण शिक्षा पर भी गंभीर असर पड़ा है। रिपोर्ट्स के अनुसार, दोनों देशों में कुल 500 स्कूल बंद कर दिए गए हैं, जिनमें से 488 स्कूल कंबोडिया में हैं।

युद्ध की जड़ 118 साल पुराना विवाद है, जो पीर विहार मंदिर को लेकर है। 1907 में बनी संधि और 1962 के अंतरराष्ट्रीय अदालत के फैसले के बावजूद दोनों देश इस मंदिर पर अपना अधिकार जताते रहे हैं। 2008 में यूनेस्को द्वारा इस मंदिर को वर्ल्ड हेरिटेज घोषित करने के बाद विवाद और तेज हो गया।

इस पूरे घटनाक्रम में 28 मई को दोनों देशों की सेना के बीच हुई भिड़ंत में कंबोडिया के एक सैनिक ने बलिदान दिया। 7 जून को दोनों देशों ने सीमा पर सेना बढ़ाई। कंबोडिया ने थाईलैंड के टीवी शो और फलों पर प्रतिबंध लगाया। 19 जून को थाईलैंड ने कंबोडिया के राजदूत को बुलाकर विरोध जताया। 21 जून को दोनों देशों ने एंट्री गेट बंद कर दिए। 1 जुलाई को थाईलैंड के प्रधानमंत्री को पद से हटाया गया। 16 जुलाई को थाईलैंड के चार सैनिक घायल हुए और उन्होंने कंबोडिया पर लैंड माइंस बिछाने का आरोप लगाया। 23 जुलाई को थाईलैंड ने अपना राजदूत वापस बुलाया और 24 जुलाई को दोनों देशों ने एक-दूसरे पर तीखे हमले किए।

फिलहाल युद्ध थमने के कोई संकेत नहीं हैं। थाईलैंड की सेना सीमा में लगभग 300 मीटर तक घुस चुकी है और मयून व थोम इलाकों में उसकी मौजूदगी देखी जा रही है। सीमा पर यह संघर्ष 817 किलोमीटर तक फैल चुका है।

अमेरिका की मध्यस्थता के प्रयासों के बावजूद यदि जल्द ही शांति वार्ता नहीं होती, तो यह युद्ध और भी विकराल रूप ले सकता है।

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