नई दिल्ली: विदेश मंत्री एस जयशंकर ने शनिवार को दोहा फोरम में कहा कि ब्रिक्स देशों का उद्देश्य डॉलर को कमजोर करना नहीं है। यह बयान अमेरिका के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की ब्रिक्स देशों पर 100 प्रतिशत टैरिफ लगाने की धमकी के जवाब में आया। जयशंकर ने यह स्पष्ट किया कि भारत ने कभी डी-डॉलराइजेशन का समर्थन नहीं किया और फिलहाल ब्रिक्स की साझा मुद्रा बनाने का कोई प्रस्ताव नहीं है।
उन्होंने कहा, “अमेरिका भारत का सबसे बड़ा व्यापार साझेदार है, और हमने हमेशा वैश्विक व्यापार में डॉलर की भूमिका का सम्मान किया है। ब्रिक्स की टिप्पणियों को लेकर हमारा रुख स्पष्ट और पारदर्शी है।”
भारत-अमेरिका संबंध: ट्रंप प्रशासन में रहे सकारात्मक
जयशंकर ने ट्रंप प्रशासन के दौरान भारत-अमेरिका संबंधों की मजबूती पर प्रकाश डालते हुए कहा कि दोनों देशों के बीच रिश्ते बेहद सकारात्मक रहे हैं। उन्होंने बताया कि ट्रंप के कार्यकाल में ही क्वाड समूह को पुनः सक्रिय किया गया था। इसके अलावा, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और डोनाल्ड ट्रंप के व्यक्तिगत संबंधों का भी उल्लेख किया। जयशंकर ने कहा कि इन मजबूत संबंधों ने दोनों देशों के बीच कूटनीतिक और व्यापारिक संवाद को नई ऊंचाई प्रदान की।
यूक्रेन-रूस युद्ध: बातचीत की दिशा में बढ़ रहा समाधान
यूक्रेन-रूस संघर्ष के सवाल पर जयशंकर ने कहा कि युद्ध को जारी रखने की बजाय अब बातचीत की ओर बढ़ने की जरूरत है। उन्होंने कहा, “भारत ने पारदर्शी कूटनीति के माध्यम से दोनों पक्षों के बीच संवाद को प्रोत्साहित किया है। हमने मॉस्को जाकर राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से और कीव जाकर राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की से सीधी वार्ता की। हमारा उद्देश्य है कि दोनों पक्ष सामान्य सूत्र खोजें और संघर्ष का समाधान हो।”
जयशंकर ने यह भी कहा कि इस युद्ध के कारण वैश्विक स्तर पर कई देशों, विशेषकर भारत, को तेल, उर्वरक और शिपिंग की बढ़ती लागत का सामना करना पड़ रहा है। उन्होंने नवोन्मेषी और सहभागी कूटनीति को संघर्षों के समाधान का महत्वपूर्ण साधन बताया।
ब्रिक्स की मुद्रा पर कोई प्रस्ताव नहीं
ब्रिक्स देशों द्वारा साझा मुद्रा बनाने के सवाल पर जयशंकर ने स्पष्ट किया कि भारत ने ऐसा कोई प्रस्ताव नहीं दिया है। उन्होंने जोर देकर कहा कि भारत वैश्विक वित्तीय संरचना में स्थिरता बनाए रखने के पक्ष में है।