नई दिल्ली: विदेश मंत्री एस जयशंकर ने संसद में अमेरिका से भारत लाए गए 104 भारतीय नागरिकों के डिपोर्टेशन पर बयान देते हुए कहा कि यह कोई नया मामला नहीं है और यह अमेरिकी नियमों के तहत किया गया है। उन्होंने कहा कि अवैध प्रवासियों को वापस भेजने की प्रक्रिया एक स्थायी नियम है और यह कई वर्षों से लागू है।
राज्यसभा में बोलते हुए जयशंकर ने स्पष्ट किया कि डिपोर्टेशन का यह नियम 2012 से प्रभावी है, और अमेरिका में रह रहे भारतीयों की राष्ट्रीयता की जांच की जाती है। उन्होंने कहा कि अवैध इमिग्रेशन पर अमेरिका द्वारा की जा रही कार्रवाई कोई नई बात नहीं है, क्योंकि पहले भी इस प्रकार से भारतीय नागरिकों को वापस भेजा गया है।

जयशंकर ने संयुक्त राष्ट्र की संधि का हवाला देते हुए कहा कि यह संधि लीगल माइग्रेशन को प्रोत्साहित करने और अवैध माइग्रेशन को हतोत्साहित करने के उद्देश्य से है। उन्होंने बताया कि अवैध प्रवासी अमानवीय स्थितियों में फंसे हुए थे, और ऐसे नागरिकों को वापस भेजने की यह प्रक्रिया अपरिहार्य थी।
अमेरिकी सरकार से संपर्क में हैं विदेश मंत्रालय
विदेश मंत्री ने यह भी कहा कि भारतीय सरकार डिपोर्टेशन के मामले में अमेरिकी सरकार के लगातार संपर्क में है, ताकि भारतीय नागरिकों के साथ किसी भी प्रकार का अमानवीय बर्ताव न हो। उन्होंने यह सुनिश्चित किया कि इस मामले में हर संभव कदम उठाया जा रहा है ताकि भारतीय नागरिकों का सम्मानित तरीके से प्रत्यावर्तन हो सके।
2012 से डिपोर्टेशन के आंकड़े
जयशंकर ने संसद में अवैध प्रवासियों के डिपोर्टेशन के आंकड़ों का उल्लेख करते हुए बताया कि 2009 से अब तक हर साल भारतीय नागरिकों को अमेरिका से डिपोर्ट किया गया है। 2009 में 734, 2010 में 799, 2011 में 597, 2012 में 530, 2013 में 515, 2014 में 591, 2015 में 708, 2016 में 1303, 2017 में 1024, 2018 में 1180, 2019 में 2042, 2020 में 1889, 2021 में 805, 2022 में 862, 2023 में 617 और 2024 में 1368 भारतीय नागरिकों को डिपोर्ट किया गया है।

अमेरिकी आईसीई विभाग द्वारा की जाती है डिपोर्टेशन प्रक्रिया
जयशंकर ने बताया कि अमेरिका में डिपोर्टेशन का कार्य अमेरिकी आव्रजन एवं सीमा शुल्क प्रवर्तन (ICE) विभाग के तहत होता है। उन्होंने कहा कि इसके लिए स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसीजर (SOP) 2012 से ही लागू है, और इसे नियमित रूप से किया जाता है।