अमेरिका: अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव के नतीजों के बीच कई ऐसी घटनाएं देखने को मिलीं, जिन्होंने भारतीय चुनावों की यादें ताजा कर दीं। ईवीएम पर संदेह जताया गया, कॉर्पोरेट और राजनीतिक गठजोड़ पर चर्चा हुई, संविधान परिवर्तन की आशंका जताई गई, और घुसपैठियों की समस्या भी एक मुद्दा बनी। इन सबके बीच, अमेरिकी चुनावी परिणामों के रुझानों से साफ हो गया है कि डोनाल्ड ट्रंप दूसरी बार अमेरिका के राष्ट्रपति बनने की ओर अग्रसर हैं। ट्रंप की वापसी का नारा भी अब दोहराया जा रहा है—”फिर एक बार ट्रंप सरकार”।
भारत-अमेरिका संबंधों पर पड़ने वाला असर
डोनाल्ड ट्रंप और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बीच व्यक्तिगत मित्रता का असर दोनों देशों के संबंधों पर भी दिखाई देता है। सितंबर 2019 में ह्यूस्टन में आयोजित ‘हाउडी मोदी’ कार्यक्रम और इसके बाद 2020 में ट्रंप का भारत दौरा, इन संबंधों को मजबूत करता है। भारत-अमेरिका की इस दोस्ती ने अहम मुद्दों पर दोनों देशों के बीच आपसी समझ को बढ़ावा दिया है, जो चीन की चुनौती से लेकर आतंकवाद के मुद्दे तक में परिलक्षित हुआ है।
Heartiest congratulations my friend @realDonaldTrump on your historic election victory. As you build on the successes of your previous term, I look forward to renewing our collaboration to further strengthen the India-US Comprehensive Global and Strategic Partnership. Together,… pic.twitter.com/u5hKPeJ3SY
— Narendra Modi (@narendramodi) November 6, 2024
चीन की चुनौती और रक्षा सहयोग
ट्रंप के पहले कार्यकाल में, एशिया में भारत की शक्ति और उसकी भूमिका को प्रमुखता दी गई। चीन की बढ़ती चुनौतियों के मद्देनजर, ट्रंप प्रशासन ने भारत के साथ मिलकर एशिया-पेसिफिक क्षेत्र में ‘क्वाड’ गठबंधन को मजबूती दी। ट्रंप के दूसरे कार्यकाल में भी रक्षा सहयोग में बढ़ोतरी की उम्मीद की जा रही है। भारत-अमेरिका के बीच हथियारों और तकनीकी सहयोग में भी ट्रंप के कार्यकाल में सकारात्मक रुझान देखे जा सकते हैं।
अवैध घुसपैठ और राष्ट्रीय सुरक्षा
ट्रंप ने हमेशा अवैध प्रवासियों पर कड़ी नीति अपनाई है। अमेरिकी चुनाव में ट्रंप ने मेक्सिको सीमा पर दीवार बनाने का मुद्दा उठाया, वहीं भारत में भी मोदी सरकार ने CAA और NRC के माध्यम से घुसपैठ के मुद्दे पर सख्त कदम उठाए हैं। ट्रंप की वापसी के बाद उम्मीद है कि भारत को अमेरिका के समर्थन से घुसपैठ की समस्या से निपटने में मदद मिलेगी।
आतंकवाद के खिलाफ सहयोग
ट्रंप आतंकवाद के मुद्दे पर मुखर रहे हैं और उनके प्रशासन ने इस्लामिक आतंकवाद पर गंभीरता से ध्यान दिया है। भारत को पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद के मामले में अमेरिका से समर्थन मिलने की उम्मीद है। चीन द्वारा पाकिस्तान को आतंकवाद में दी जा रही शह का मुकाबला करने में भी भारत को अमेरिकी सहयोग प्राप्त हो सकता है।
भारत के लिए संभावित चुनौतियां
ट्रंप की अप्रवासी नीति के कारण भारतीय पेशेवरों को अमेरिका में H-1B वीजा पाने में कई दिक्कतों का सामना करना पड़ा था। ट्रंप का यह दृष्टिकोण कि अमेरिकी नौकरियों पर पहला हक अमेरिकी नागरिकों का होना चाहिए, भारत के लिए चुनौतियां पेश कर सकता है। भारत को अब भी H-1B वीजा नीति पर अमेरिकी सरकार से बातचीत करनी पड़ सकती है।
व्यापार संबंधों में खटास
ट्रंप ने ‘मेक अमेरिका ग्रेट अगेन’ के नारे के साथ अपने देश में व्यापार को प्राथमिकता दी है। भारत पर अमेरिकी उत्पादों पर टैरिफ कम करने का दबाव बना रहेगा। ट्रंप ने भारत के कई ड्यूटी फ्री प्रोडक्ट्स को टैक्स के दायरे में लाने की भी बात कही थी, जिससे भारत-अमेरिका व्यापार में खटास बढ़ने की संभावना है।
भारतीय अप्रवासियों की सुरक्षा
ट्रंप प्रशासन पर गोरे वर्चस्व (व्हाइट सुप्रिमेसी) को बढ़ावा देने का आरोप लगता रहा है। भारतीय अप्रवासी समुदाय की सुरक्षा को लेकर भारत को अब भी चिंताएं हैं। ट्रंप के दोबारा सत्ता में आने से अमेरिका में अप्रवासी भारतीयों के प्रति सुरक्षा और भेदभाव की स्थिति पर ध्यान देना भारत के लिए आवश्यक होगा।