वॉशिंगटन: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने बुधवार को वैश्विक व्यापार नीति के तहत एक बड़ा कदम उठाते हुए 22 देशों को टैरिफ नोटिस जारी किया है। इन देशों को 20 से 50 प्रतिशत तक शुल्क की नई दरों से अवगत कराते हुए व्यक्तिगत रूप से पत्र भी भेजे गए हैं। यह कदम ट्रंप प्रशासन द्वारा व्यापारिक असंतुलन को सुधारने और अमेरिका को आर्थिक रूप से मजबूत बनाने की कोशिशों के हिस्से के रूप में देखा जा रहा है।
प्रभावित देशों में फिलीपींस, श्रीलंका, ब्रुनेई, अल्जीरिया, लीबिया, इराक, मोल्दोवा और ब्राजील सहित कई एशियाई, अफ्रीकी और यूरोपीय क्षेत्र के देश शामिल हैं। इन देशों को जारी नोटिस में स्पष्ट किया गया है कि अमेरिका के साथ व्यापार करते समय उन्हें अब बढ़े हुए टैरिफ दरों का सामना करना होगा। इनमें से कई देश अमेरिका के सहयोगी माने जाते रहे हैं, जैसे जापान और दक्षिण कोरिया, लेकिन अब उन्हें भी नई शुल्क दरों में शामिल कर लिया गया है।
नोटिस में शामिल कुछ प्रमुख टैरिफ दरें इस प्रकार तय की गई हैं: ब्राजील पर 50 प्रतिशत, म्यांमार और लाओस पर 40 प्रतिशत, बांग्लादेश पर 35 प्रतिशत, थाईलैंड और कंबोडिया पर 36 प्रतिशत, जापान, मलेशिया, दक्षिण कोरिया और ट्यूनीशिया पर 25 प्रतिशत शुल्क लगाया गया है। हालांकि, कुछ देशों को पहले की तुलना में मामूली राहत भी दी गई है, जिससे यह स्पष्ट होता है कि अमेरिका अपनी शर्तों पर व्यापार समझौतों के लिए दबाव बना रहा है।
जानकारों का मानना है कि इस कदम का केंद्रबिंदु विशेष रूप से एशियाई क्षेत्र है, जहां अमेरिका लंबे समय से व्यापार घाटे और बाजार असंतुलन की शिकायत करता रहा है। हालांकि अब तक यूरोपीय संघ के किसी भी देश को ऐसा नोटिस नहीं मिला है, लेकिन ट्रंप ने संकेत दिए हैं कि अगले दो दिनों में यूरोपीय यूनियन को भी टैरिफ पत्र भेजा जाएगा। अमेरिकी राष्ट्रपति ने कहा कि अब तक ईयू बहुत सख्त रवैया अपनाए हुए था, लेकिन अब वह सकारात्मक बातचीत की दिशा में आगे बढ़ रहा है।
ट्रंप ने यह भी स्पष्ट किया है कि वे एक अगस्त से टैरिफ लागू करने की समयसीमा को आगे नहीं बढ़ाएंगे। उन्होंने इस बात के भी संकेत दिए कि ब्रिक्स देशों को भी जल्द ही अतिरिक्त 10 प्रतिशत शुल्क का सामना करना पड़ सकता है, जिसमें भारत भी शामिल है। हालांकि चीन के साथ अमेरिका एक सीमित पारस्परिक शुल्क समझौते पर पहले ही सहमत हो चुका है।
यूरोपीय यूनियन के एक प्रवक्ता ने इस पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि ईयू अमेरिका के साथ समझौता करने को तैयार है और अगस्त की शुरुआत तक बातचीत जारी रखेगा। यूरोप में व्यापार मामलों को देखने वाला यूरोपीय आयोग इस पर कार्य कर रहा है।
इस घटनाक्रम के बाद वैश्विक व्यापार जगत में एक नई हलचल शुरू हो गई है। विशेषज्ञ मानते हैं कि यह नीति अमेरिका की संरक्षणवादी सोच को उजागर करती है और यदि ये टैरिफ वास्तव में लागू होते हैं तो इससे वैश्विक बाजारों में अस्थिरता बढ़ सकती है। इसके साथ ही प्रभावित देशों की ओर से जवाबी कार्रवाइयों की आशंका भी बनी हुई है।
अमेरिकी व्यापार नीति में आया यह नया मोड़ आने वाले महीनों में वैश्विक व्यापार संतुलन, निवेश और कूटनीतिक रिश्तों को भी प्रभावित कर सकता है।