लखनऊ, उत्तर प्रदेश: मंगलवार की देर रात लखनऊ के कनौसी क्षेत्र स्थित ओशो नगर में उस समय हाहाकार मच गया जब बिजली विभाग की लापरवाही के चलते एक खाली प्लाट पर बसी लगभग डेढ़ सौ झुग्गी-झोपड़ियों में भीषण आग लग गई। आग इतनी विकराल थी कि कुछ ही मिनटों में झुग्गियों का अस्तित्व मिट गया। हालांकि किसी की जान नहीं गई, लेकिन झुग्गियों में रहने वाले परिवारों की पूरी गृहस्थी राख हो गई।
अग्निकांड की भयावहता और रेस्क्यू में आई बाधाएं
घटना रात करीब 1 बजे की है, जब अचानक जोरदार धमाके के साथ आग लगी। झुग्गियों में सो रहे लोग घबराकर बाहर की ओर भागे, लेकिन धुएं और लपटों ने रास्ते बंद कर दिए। कुछ लोग पीछे के संकरे रास्तों से किसी तरह जान बचाकर निकल पाए।

घटना स्थल पर फायर ब्रिगेड की दो दर्जन से अधिक गाड़ियां भेजी गईं, लेकिन केसरी खेड़ा ओवरब्रिज के निर्माण के कारण समय पर नहीं पहुंच सकीं। जब तक दमकल गाड़ियां मौके पर पहुंचीं, तब तक झुग्गियां खाक हो चुकी थीं। आग बुझाने का कार्य बुधवार सुबह 10:30 बजे तक जारी रहा।
पीड़ितों की आंखों में आंसू, घर की राख में ढूंढते सपने
आग की भयावहता के गवाह बनीं ओशो नगर की निवासी शशि बाला, जो अपने जले हुए घर और वाशिंग मशीन को दिखाते हुए फूट-फूट कर रो पड़ीं। उन्होंने बताया, “हमने कई बार बिजली विभाग से शिकायत की थी, लेकिन किसी ने नहीं सुना। प्लॉट रामबाबू का है, जिन्होंने प्लाटिंग करके डेढ़ सौ झुग्गियां बसाईं। पहले भी आग लग चुकी है, लेकिन अबकी बार सब कुछ लुट गया।”
हरिराम राम वशिष्ठ के घर की टाइल्स आग से गिर गईं, गोदाम में रखा सारा सामान राख हो गया। उन्होंने बताया कि घर के पीछे के दरवाजे से मुश्किल से जान बचाई।
वहीं, राहुल यादव, जो पिछले 9 वर्षों से ओशो नगर में रह रहे हैं, ने कहा कि “यहां पहले भी कई बार आग लगी, लेकिन हल्की होने के कारण ज्यादा नुकसान नहीं हुआ था।”

चार ठेकेदारों की शह पर बसी बस्ती, पुलिस पर भी उठे सवाल
स्थानीय लोगों ने बताया कि मायाराम, आशु, सुभाष और संजीव नामक चार ठेकेदारों की शह पर झुग्गियां बसाई गई हैं। यह सभी रामबाबू के खाली प्लाटों पर झुग्गियों को किराए पर दिलवाते हैं, जिनसे मोटी रकम ली जाती है। निवासियों ने बताया कि पुलिस की मिलीभगत से यह अवैध बस्ती वर्षों से चल रही है, लेकिन कोई कार्यवाही नहीं होती।
बिजली विभाग की लापरवाही बनी आग का कारण
घटना के प्रत्यक्षदर्शी अशरफ अली ने बताया, “तीन दिन पहले भी हल्की आग लगी थी, जिसे हमने बुझा दिया था। यहां बिजली के तारों से अक्सर प्लास्टिक टपकता है, लेकिन बिजली विभाग ने कभी संज्ञान नहीं लिया। इसी लापरवाही ने इस बार पूरा जीवन जला दिया।”