ओटावा, कनाडा: अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की विवादास्पद टिप्पणियों और नीतिगत दबावों के बीच कनाडा में सोमवार को आम चुनाव के लिए मतदान संपन्न हुआ। इस चुनाव के जरिए कनाडाई नागरिक तय करेंगे कि लिबरल पार्टी को एक बार फिर सत्ता में लौटाया जाए या कंजरवेटिव पार्टी को नई जिम्मेदारी सौंपी जाए।
प्रधानमंत्री पद के लिए मुख्य मुकाबला मौजूदा प्रधानमंत्री मार्क कार्नी और विपक्ष के नेता पियरे पोलीवरे के बीच है। हालांकि, यह चुनाव सिर्फ स्थानीय मुद्दों तक सीमित नहीं रहा। अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा कनाडा को अमेरिका का 51वां राज्य बनाने के सुझाव ने चुनावी माहौल को और भी अधिक प्रभावित किया।

सर्वेक्षण में लिबरल पार्टी को बढ़त
ताजा चुनावी सर्वेक्षणों के अनुसार, मार्क कार्नी की अगुवाई में लिबरल पार्टी कंजरवेटिव पार्टी से आगे चल रही है। सीटीवी न्यूज-ग्लोब एंड मेल-नैनोस द्वारा कराए गए सर्वे के मुताबिक, लिबरल्स को 42.6% और कंजरवेटिव्स को 39.9% लोगों का समर्थन मिलने की संभावना है। वहीं, ईकेओएस रिसर्च के सर्वे में भी लिबरल पार्टी को कंजरवेटिव्स पर 6 अंकों की बढ़त मिलती दिख रही है।
इस आधार पर कयास लगाए जा रहे हैं कि लिबरल पार्टी 343 सीटों वाली संसद (हाउस ऑफ कॉमन्स) में बहुमत हासिल कर सकती है। भारतीय समयानुसार मंगलवार सुबह 10 बजे से चुनाव परिणाम आने शुरू होंगे।
ट्रंप की टिप्पणियों ने चुनावी हवा बदली
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने हाल ही में सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘ट्रुथ सोशल’ पर कनाडा के नागरिकों को शुभकामनाएं देते हुए फिर से यह प्रस्ताव रखा कि कनाडा को अमेरिका का 51वां राज्य बन जाना चाहिए।
ट्रंप ने लिखा,
“कनाडा के प्यारे लोगों को शुभकामनाएं। ऐसे नेता को वोट दीजिए जो आपके टैक्स आधे कर दे, आपकी सेना को दुनिया की सबसे ताकतवर बना दे, वह भी मुफ्त में। आपके व्यापार को चार गुना बढ़ाए। यह सब तभी मुमकिन है जब कनाडा अमेरिका का 51वां राज्य बन जाए।”
ट्रंप के अनुसार, अमेरिका हर साल कनाडा पर सैकड़ों अरब डॉलर खर्च कर रहा है और इस आर्थिक भार को तब तक सही नहीं ठहराया जा सकता जब तक कनाडा अमेरिका का हिस्सा न बन जाए। उन्होंने बिना सीमाओं के विशाल भूभाग के सपने को भी प्रचारित किया।

देशभक्ति की भावना से लिबरल पार्टी को मिला समर्थन
डोनाल्ड ट्रंप की धमकियों ने कनाडा में राष्ट्रीय गर्व और देशभक्ति की भावना को मजबूत किया, जिसका प्रत्यक्ष लाभ लिबरल पार्टी के नेता मार्क कार्नी को मिला।
कार्नी ने प्रधानमंत्री बनने से पहले कनाडा और ब्रिटेन के केंद्रीय बैंकों के गवर्नर के रूप में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। आर्थिक अनुभव के बल पर उन्होंने अमेरिकी दबावों का मजबूती से सामना किया और जनता का विश्वास अर्जित किया।
विशेष बात यह रही कि कार्नी ने चुनावी अभियान के दौरान खुद को पूर्व प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो से अलग दिखाने की रणनीति अपनाई, जिनकी लोकप्रियता महंगाई और बढ़ते अपराध के कारण काफी गिर चुकी थी। ट्रूडो ने इस साल जनवरी में प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था, जिसके बाद कार्नी को लिबरल पार्टी ने नेतृत्व सौंपा।