नई दिल्ली: दिल्ली की सियासत में एक बड़ा बदलाव सामने आया है। आम आदमी पार्टी (AAP) को उस समय बड़ा झटका लगा जब उसके 15 नगर निगम पार्षदों ने पार्टी छोड़ दी और नई राजनीतिक पार्टी ‘इंद्रप्रस्थ विकास पार्टी’ की नींव रख दी। इन नेताओं ने आम आदमी पार्टी के शीर्ष नेतृत्व पर दिल्ली नगर निगम को सही तरीके से न चला पाने और पार्षदों के साथ समन्वय की कमी का आरोप लगाया।
इस्तीफा देने वाले पार्षदों ने कहा कि पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से वे इसलिए इस्तीफा दे रहे हैं क्योंकि जनता से किए गए वादों को पूरा नहीं किया गया। पार्षदों का दावा है कि वे 2022 में दिल्ली नगर निगम चुनावों में आम आदमी पार्टी के टिकट पर विजयी होकर आए थे, लेकिन पार्टी के अंदर कामकाज में लगातार असंतोष और संवादहीनता की स्थिति बनी रही।

नई पार्टी का गठन: इंद्रप्रस्थ विकास पार्टी
इस्तीफा देने के तुरंत बाद इन नेताओं ने एक बैठक कर नई पार्टी ‘इंद्रप्रस्थ विकास पार्टी’ के गठन की घोषणा की। इस बैठक की अध्यक्षता हेमवंद गोयल ने की, जिसमें सर्वसम्मति से मुकेश गोयल को पार्टी का नेता चुना गया।
पार्षदों का कहना है कि उनकी नई पार्टी का उद्देश्य दिल्ली के समुचित विकास के लिए पारदर्शिता और जवाबदेही के साथ काम करना है। उनका दावा है कि पार्टी जनता के हितों को सर्वोपरि रखेगी और नगर निगम के जरिये स्थानीय विकास कार्यों पर ध्यान केंद्रित करेगी।
हिमानी जैन का बड़ा बयान
इस्तीफा देने वाली पार्षद हिमानी जैन ने कहा:
“हमने इंद्रप्रस्थ विकास पार्टी नाम की नई पार्टी बनाई है। आम आदमी पार्टी से इस्तीफा देने का कारण यह है कि पिछले ढाई वर्षों में कोई उल्लेखनीय विकास कार्य नहीं हुआ। हम सत्ता में थे, फिर भी हम कुछ नहीं कर पाए। हमारी विचारधारा अब दिल्ली के वास्तविक विकास से जुड़ी है। हम उस पार्टी का समर्थन करेंगे जो दिल्ली के विकास के लिए काम करे।”
उन्होंने यह भी संकेत दिया कि भविष्य में और भी पार्षद उनके साथ जुड़ सकते हैं।

इस्तीफा देने वाले प्रमुख पार्षदों के नाम
- मुकेश गोयल
- हिमानी जैन
- देवेंद्र कुमार
- राजेश कुमार लाडी
- सुमन अनिल राणा
- दिनेश भारद्वाज
(कुल संख्या: 15 पार्षद)
राजनीतिक विश्लेषण
राजनीतिक जानकारों का मानना है कि यह घटनाक्रम आम आदमी पार्टी के लिए गंभीर चुनौती बन सकता है, विशेषकर आगामी निगम और विधानसभा चुनावों में। यह इस्तीफे नगर निगम में पार्टी की स्थिति को और कमजोर कर सकते हैं। नई पार्टी का गठन और उसमें शामिल हुए पार्षदों की संख्या यह संकेत देती है कि आम आदमी पार्टी के अंदर आंतरिक मतभेद गहराते जा रहे हैं।