झुंझुनूं: मोरारका राजकीय महाविद्यालय में शुक्रवार को एसएफआई से जुड़े छात्र-छात्राओं ने छात्रसंघ चुनाव बहाल करने समेत पांच सूत्रीय मांगों को लेकर विरोध प्रदर्शन किया। कॉलेज के मुख्य द्वार पर हुए इस प्रदर्शन के बाद विद्यार्थियों ने उच्च शिक्षा मंत्री के नाम एक ज्ञापन प्राचार्य को सौंपा और जल्द निर्णय नहीं होने पर आंदोलन तेज करने की चेतावनी दी।
प्रदर्शन के दौरान छात्रसंघ महासचिव साहिल कुरैशी ने कहा कि प्रदेश में छात्रसंघ चुनाव को टालकर लोकतांत्रिक व्यवस्था को कमजोर किया जा रहा है। संगठन के अध्यक्ष पंकज डूडी ने कॉलेजों में 75 प्रतिशत उपस्थिति अनिवार्य करने की मांग रखते हुए कहा कि इससे शिक्षा व्यवस्था में अनुशासन बढ़ेगा। कमेटी अध्यक्ष आकाश धनखड़ ने राज्य के सभी निजी कॉलेजों को सरकारी नियंत्रण में लेने की बात दोहराई।
तहसील सचिव अमित शेखावत ने उच्च शिक्षा विभाग में लंबे समय से रिक्त पड़े पदों पर शीघ्र नियुक्ति करने की मांग की, जबकि मोहित टंडन ने नई शिक्षा नीति 2020 को वापस लेने की आवश्यकता जताई। उन्होंने कहा कि यह नीति शिक्षा को व्यवसायिक बनाने का प्रयास है, जिससे गरीब और ग्रामीण छात्र वंचित हो सकते हैं।
छात्रा खुशी, शोएब खान और अन्य वक्ताओं ने कहा कि यदि सरकार छात्रों की इन मांगों को गंभीरता से नहीं लेती, तो प्रदेशभर के कॉलेजों में उग्र आंदोलन शुरू किया जाएगा। उन्होंने बताया कि यह आंदोलन किसी दल विशेष का नहीं बल्कि विद्यार्थियों के अधिकारों के लिए है।
प्रदर्शन में बड़ी संख्या में छात्र-छात्राएं शामिल हुए। इनमें जाहिद, अभिषेक, पंकज, प्रदीप, दीपक, भूपेश, सचिन, दिनेश, रजत, शाहिद, अभिषेक नागर, राहुल, कृष्णा, रोहित, नितिन, कृष्ण, इरफान खान, अमित, रामसिंह, रमेश लोहिया, प्रवीन, आनंद, अखिलेश बरवड़, काजल, सुमिता, ज्योति, लक्की, पलक सहित कई विद्यार्थी मौजूद रहे।
इस विरोध के माध्यम से एसएफआई ने न केवल छात्रसंघ चुनाव को लेकर अपनी मांगें रखीं, बल्कि शिक्षा प्रणाली में सुधार और छात्र हितों की दिशा में ठोस कदम उठाने का आग्रह भी किया। छात्र संगठनों का कहना है कि यदि सरकार ने समय रहते इन मांगों पर कार्रवाई नहीं की, तो यह आंदोलन कॉलेज से निकलकर प्रदेशव्यापी स्वरूप ले सकता है।