Sunday, July 27, 2025
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सचिन पायलट और अशोक गहलोत की सियासी मुलाकात ने बढ़ाई हलचल, राजेश पायलट की पुण्यतिथि कार्यक्रम का दिया निमंत्रण

जयपुर, राजस्थान: राजस्थान की सियासत एक बार फिर गर्मा गई है। भाजपा की पूर्ण बहुमत वाली सरकार के बीच कांग्रेस के दो बड़े चेहरों – सचिन पायलट और पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत – की मुलाकात ने राजनीतिक गलियारों में चर्चाओं को तेज कर दिया है। शनिवार को पायलट ने गहलोत से जयपुर स्थित सिविल लाइंस आवास पर मुलाकात की। दोनों नेताओं की यह बैठक करीब दो घंटे तक बंद कमरे में चली।

यह मुलाकात सामान्य राजनीतिक शिष्टाचार के तहत की गई थी, लेकिन बीते वर्षों में दोनों के बीच चली आ रही सियासी खींचतान को देखते हुए इसे सामान्य नहीं माना जा रहा।

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मुलाकात का कारण: राजेश पायलट की पुण्यतिथि का आमंत्रण

इस मुलाकात का औपचारिक उद्देश्य था – पूर्व केंद्रीय मंत्री स्वर्गीय राजेश पायलट की 25वीं पुण्यतिथि पर आयोजित होने वाले श्रद्धांजलि समारोह के लिए आमंत्रण देना।
सचिन पायलट ने स्वयं जाकर गहलोत को यह निमंत्रण दिया। यह कार्यक्रम 11 जून 2025 को दौसा जिले के भंडाना-जीरोता गांव में आयोजित किया जाएगा, जो पायलट परिवार का राजनीतिक गढ़ माना जाता है।

गहलोत ने सोशल मीडिया पर साझा किया वीडियो

इस मुलाकात के बाद अशोक गहलोत ने अपने आधिकारिक सोशल मीडिया हैंडल से एक वीडियो साझा किया, जिसमें पायलट के साथ उनकी बातचीत के क्षण दिखाई दे रहे हैं।
गहलोत ने कैप्शन में लिखा:

“एआईसीसी महासचिव श्री सचिन पायलट ने मुझे पूर्व केंद्रीय मंत्री स्वर्गीय राजेश पायलट की 25वीं पुण्यतिथि पर उनके आवास पर आयोजित होने वाले कार्यक्रम में आमंत्रित किया है। पूर्व मंत्री और मैं 1980 में एक साथ लोकसभा में आए और करीब 18 साल तक सांसद रहे। उनका आकस्मिक निधन एक व्यक्तिगत क्षति और कांग्रेस पार्टी के लिए एक बड़ा झटका है।”

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पुरानी रंजिशें और नई अटकलें

गौरतलब है कि राजस्थान कांग्रेस में सचिन पायलट और अशोक गहलोत के बीच लंबे समय से टकराव की स्थिति रही है।
विधानसभा चुनावों से पहले भी दोनों नेताओं के बीच बयानबाजी और रणनीतिक मतभेद खुले तौर पर सामने आ चुके हैं। हालांकि, बीते कुछ समय से कांग्रेस आलाकमान दोनों नेताओं को एक मंच पर लाने की कोशिश कर रहा है।

इस मुलाकात को लेकर राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि यह सिर्फ शिष्टाचार नहीं, बल्कि भविष्य की संभावनाओं को टटोलने की एक कोशिश भी हो सकती है। भाजपा सरकार के सशक्त नेतृत्व में विपक्ष के रूप में कांग्रेस की भूमिका कमजोर पड़ी है, ऐसे में यह एकता कांग्रेस के लिए जरूरी मानी जा रही है।

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