जयपुर, 5 जून 2025: राजस्थान सरकार के वित्त (कर) विभाग ने संपत्तियों के हस्तांतरण की प्रक्रिया में नकद लेन-देन पर सख्त रुख अपनाते हुए एक महत्वपूर्ण आदेश जारी किया है। इस आदेश में स्पष्ट किया गया है कि संपत्ति खरीद-फरोख्त या अन्य लेन-देन में यदि आयकर अधिनियम द्वारा निर्धारित अधिकतम राशि 2 लाख से अधिक नकद लिया जाता है, तो यह अवैध माना जाएगा और संबंधित उप-पंजीयक को इसकी सूचना देनी होगी।

यह निर्देश राजस्थान उच्च न्यायालय की जयपुर पीठ द्वारा S.B. क्रिमिनल मिसलेनियस पिटीशन नंबर 6580/2024 और अन्य 28 याचिकाओं पर दिए गए आदेशों के आधार पर जारी किया गया है। आदेश के अनुसार, सभी लोक कार्यालयों और लोक प्राधिकरणों को यह सुनिश्चित करना होगा कि दस्तावेजों की रजिस्ट्री के दौरान प्रस्तुत स्टाम्प ड्यूटी, अन्य शुल्कों और प्रावधानों का विधिवत पालन किया जाए।
साथ ही, उच्चतम न्यायालय द्वारा पारित सिविल अपील संख्या 5200/2025 में यह भी स्पष्ट किया गया है कि यदि किसी रजिस्ट्री या ट्रांजैक्शन में नकद राशि का लेन-देन आयकर अधिनियम में निर्धारित सीमा दो लाख से अधिक किया गया है, तो यह अवैध लेन-देन की श्रेणी में आएगा। ऐसे मामलों में उप-पंजीयक को तत्काल संबंधित आयकर विभाग को सूचित करना होगा, ताकि आवश्यक कार्रवाई अमल में लाई जा सके।
इस आदेश में यह भी कहा गया है कि यदि उप-पंजीयक ऐसे किसी लेन-देन की सूचना देने में असफल रहते हैं, तो उनके खिलाफ नियमानुसार अनुशासनात्मक कार्यवाही की जाएगी। इसलिए सभी उप-पंजीयकों को निर्देशित किया गया है कि वे इन आदेशों की गंभीरता को समझते हुए सख्ती से अनुपालन सुनिश्चित करें।

यह आदेश वित्त विभाग के शासन सचिव कुमार पाल गौतम द्वारा जारी किया गया है और राज्यभर के संबंधित कार्यालयों को इसकी पालना के निर्देश दिए गए हैं।
यह कदम काले धन, समानांतर वित्तीय लेन-देन और कर चोरी पर रोक लगाने की दिशा में एक बड़ा और प्रभावी प्रयास माना जा रहा है।