इस्लामाबाद, पाकिस्तान: पाकिस्तान के सेना प्रमुख जनरल आसिम मुनीर को हाल ही में भारत के साथ सीमा पर हुए तनाव और देश की रक्षा में निर्णायक भूमिका के लिए फील्ड मार्शल पद पर पदोन्नत किया गया। यह देश के इतिहास में दूसरी बार है जब किसी सैन्य अधिकारी को यह सर्वोच्च सैन्य सम्मान प्राप्त हुआ है। हालांकि, यह सम्मान विपक्ष के सबसे बड़े नेता और पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान को रास नहीं आया।
“फील्ड मार्शल नहीं, खुद को ‘राजा’ घोषित कर देते!”
जेल में बंद इमरान खान ने अपने सोशल मीडिया पोस्ट के माध्यम से जनरल मुनीर पर कटाक्ष करते हुए लिखा,
“माशाअल्लाह, जनरल आसिम मुनीर को फील्ड मार्शल बनाया गया है। हालांकि, स्पष्ट रूप से उन्हें ‘राजा’ की पदवी देनी चाहिए थी, क्योंकि इस वक्त पाकिस्तान में जंगल राज चल रहा है। और जंगल में एक ही राजा होता है।”
उन्होंने आगे कहा कि उनके साथ किसी भी प्रकार की डील या समझौते की अफवाहें झूठ और निराधार हैं।

लोकतंत्र, कानून और नैतिकता पर करारा हमला
इमरान खान ने पाकिस्तान की मौजूदा हालत को “राजनीतिक, संवैधानिक और नैतिक ढांचे की तबाही” बताया। उन्होंने आरोप लगाया कि
“देश को एक ऐसे स्थान में तब्दील कर दिया गया है, जहां कानून केवल कमजोरों पर लागू होता है। लोकतंत्र की असल अहमियत को रौंदा जा रहा है।”
उन्होंने विशेष रूप से तोशाखाना-2 मामले और अपनी कानूनी कार्यवाहियों का हवाला देते हुए कहा कि
“जेल की तरह ही, अदालती कार्यवाही भी एक कर्नल की ख्वाहिश से तय होती है।”
सरकार और सेना पर तीखा प्रहार
इमरान ने प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ और सेना प्रमुख की जोड़ी को लेकर कहा कि इन दोनों की आलोचना करना आज पाकिस्तान में सबसे बड़ा ‘अपराध’ बन गया है।
“शहबाज शरीफ पर मनी लॉन्ड्रिंग के 22 अरब रुपये के आरोप लगे थे, फिर भी उन्हें प्रधानमंत्री बना दिया गया।”
इमरान ने पूर्व राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी की बहन के खिलाफ भी एनएबी द्वारा दर्ज मामलों का जिक्र किया और कहा कि उन्हें विदेश में रहने के बावजूद कोई पूछताछ नहीं करता।
इमरान खान की जेल में स्थिति
इमरान खान ने आरोप लगाया कि उन्हें
- महीनों से बच्चों से नहीं मिलने दिया गया,
- वकीलों और बहनों को अदालत में नहीं जाने दिया गया,
- किताबें और डॉक्टर की सुविधा भी नहीं दी जा रही।
उन्होंने इसे मानवाधिकारों और कानून का गंभीर उल्लंघन बताया।

आतंकी हमलों और ड्रोन स्ट्राइक पर चेतावनी
इमरान खान ने कहा कि
“ड्रोन हमलों में निर्दोष नागरिकों की मौत आतंकवाद को नहीं घटाती, बल्कि उसे बढ़ावा देती है।”
उन्होंने पाकिस्तान में अमेरिकी ड्रोन अभियानों को रोकने के अपने पुराने प्रयासों को याद दिलाया और कहा कि आतंकवाद के नाम पर अपने ही नागरिकों के घरों पर बम गिराना ‘अत्याचार’ है, न कि समाधान।
‘बातचीत’ का संकेत, पर कोई सौदा नहीं
इमरान ने स्पष्ट किया कि सेना अगर वास्तव में पाकिस्तान के भविष्य और सुरक्षा की परवाह करती है, तो वह बातचीत का रास्ता खोल सकती है, लेकिन उन्होंने यह भी कहा कि
“मैंने अपने लिए आज तक कुछ नहीं मांगा है, और न आगे मांगूंगा।”