केरल: हाल ही में संसद के दोनों सदनों से पारित वक्फ संशोधन कानून अब कानूनी रूप से लागू हो चुका है, केंद्र सरकार ने इसकी अधिसूचना भी जारी कर दी है। यह कानून देश में वक्फ संपत्तियों के उपयोग, पंजीकरण और निगरानी को लेकर पारदर्शिता सुनिश्चित करने के उद्देश्य से लाया गया है। हालांकि, इसके लागू होने के बाद गैर-बीजेपी शासित राज्यों में विरोध तेज होता जा रहा है, जहां कट्टरपंथी संगठनों द्वारा खुलकर विरोध प्रदर्शन किए जा रहे हैं।

केरल के उत्तर कोझिकोड जिले में बुधवार को जमात-ए-इस्लामी से संबद्ध सॉलिडेरिटी यूथ मूवमेंट और स्टूडेंट्स इस्लामिक ऑर्गनाइजेशन (SIO) ने वक्फ संशोधन कानून के विरोध में एक बड़ा जुलूस निकाला। यह जुलूस कोझिकोड इंटरनेशनल एयरपोर्ट तक गया, जिसमें सैकड़ों की संख्या में प्रदर्शनकारी शामिल हुए। प्रदर्शन के दौरान कई लोगों ने मुस्लिम ब्रदरहुड और हमास जैसे अंतरराष्ट्रीय आतंकी संगठनों के नेताओं की तस्वीरें हाथों में लेकर लहराईं, जिससे केरल की राजनीति में नया विवाद खड़ा हो गया है।
इस घटना पर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने सत्तारूढ़ एलडीएफ सरकार और मुख्य विपक्षी गठबंधन यूडीएफ दोनों को आड़े हाथों लिया। वरिष्ठ भाजपा नेता के. सुरेन्द्रन ने सवाल उठाते हुए कहा कि,
“कट्टरपंथी संगठनों के समर्थन में खुलेआम निकले इस जुलूस से साफ है कि केरल सरकार तुष्टिकरण की नीति पर चल रही है। राज्य में आतंकियों को बढ़ावा मिल रहा है और सरकार मौन बनी हुई है।”
भाजपा का आरोप है कि वोट बैंक की राजनीति के चलते दोनों गठबंधन आतंकी सोच रखने वाले संगठनों पर कार्रवाई नहीं कर रहे हैं, जिससे केरल में चरमपंथ का खतरा बढ़ता जा रहा है।

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विवाद बढ़ने पर माकपा और समस्ता (ए.पी. गुट) जैसे प्रभावशाली मुस्लिम विद्वानों के संगठनों ने स्थिति संभालने की कोशिश की है। इन संगठनों ने जुलूस में आतंकी संगठनों की तस्वीरें लहराए जाने की आलोचना की है और कहा कि यह दक्षिणपंथी संगठनों को दुष्प्रचार का हथियार दे सकता है। उन्होंने प्रदर्शनकारियों से संयम बरतने और लोकतांत्रिक तरीके से अपनी बात रखने की अपील की है।