नई दिल्ली: संसद के चालू बजट सत्र के दूसरे चरण का दूसरा हफ्ता जारी है। सोमवार को लोकसभा में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने महाकुंभ पर संबोधन दिया, जिसमें उन्होंने इस आयोजन को राष्ट्रीय चेतना और सामूहिक संकल्पों का प्रतीक बताया।
महाकुंभ पर पीएम मोदी का वक्तव्य
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, “हम सभी जानते हैं कि गंगा जी को धरती पर लाने के लिए महान प्रयास किए गए थे। उसी तरह, इस महाकुंभ के भव्य आयोजन में भी हमने उसी महाप्रयास को देखा है।” उन्होंने लाल किले से दिए गए अपने पिछले भाषण को याद दिलाते हुए ‘सबका प्रयास’ के महत्व को दोहराया।

मोदी ने महाकुंभ को भारत की आध्यात्मिक और सांस्कृतिक विरासत का जीवंत उदाहरण बताया। उन्होंने कहा, “महाकुंभ के आयोजन ने राष्ट्रीय चेतना के जागरण का विराट स्वरूप प्रस्तुत किया है, जो नए संकल्पों की सिद्धि के लिए प्रेरित करता है।”
राम मंदिर और राष्ट्रीय चेतना
प्रधानमंत्री ने अपने भाषण में अयोध्या में राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा का भी उल्लेख किया। उन्होंने कहा, “राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा समारोह ने देश को अगले हजार वर्षों के लिए तैयार होने की प्रेरणा दी है। महाकुंभ भी उसी भावना का विस्तार है, जिसमें पूरे देश ने भाग लिया।”
मोदी ने कहा कि मानव इतिहास में ऐसे कई मोड़ आते हैं, जो भविष्य की पीढ़ियों के लिए प्रेरणादायक उदाहरण बन जाते हैं। महाकुंभ भी ऐसा ही एक अवसर था, जिसने देश की सांस्कृतिक और आध्यात्मिक चेतना को सशक्त किया।
महाकुंभ और युवा पीढ़ी
प्रधानमंत्री ने कहा, “महाकुंभ के आयोजन ने देश की सामूहिक चेतना को उजागर किया। युवा पीढ़ी ने भी पूरे उत्साह से इसमें भाग लिया। महाकुंभ पर सवाल उठाने वालों को जनता ने अपनी श्रद्धा और आस्था के माध्यम से स्पष्ट उत्तर दिया है।”
मोदी ने अपनी मॉरीशस यात्रा का जिक्र करते हुए बताया कि वहां के गंगा तालाब में त्रिवेणी का पवित्र जल डाला गया, जो भारत की सांस्कृतिक विरासत की वैश्विक स्वीकृति को दर्शाता है।

लोकसभा में विपक्ष का हंगामा
प्रधानमंत्री मोदी के भाषण के बाद लोकसभा में विपक्षी सदस्यों ने जोरदार हंगामा किया। विपक्षी नेताओं ने सरकार पर विभिन्न मुद्दों को लेकर सवाल उठाए।
इस दौरान लोकसभा स्पीकर ओम बिरला ने विपक्षी सदस्यों को नियमों के तहत कार्यवाही में भाग लेने की नसीहत दी। उन्होंने कहा, “सदन नियमों और प्रक्रियाओं के तहत चलता है।”
हंगामे के बीच भी लोकसभा की कार्यवाही जारी रही और स्पीकर ने नियम 377 के तहत सदन की कार्यवाही को आगे बढ़ाया।