नेपाल भूकंप में घायल लोगों को भारत भेजा गया: नेपाल (Nepal) में शुक्रवार (3 नवंबर) की रात 6.4 तीव्रता के शक्तिशाली भूकंप के झटके महसूस किए गए. इसके बाद भूकंप से प्रभावित पश्चिमी नेपाल के पर्वतीय जजरकोट जिले में तलाश और बचाव अभियान शुरू किया गया. इसी बीच अधिकारियों ने कई घायलों को तलहटी के अस्पतालों में ट्रांसफर कर दिया गया. हालांकि, इसके बावजूद गंभीर रूप से घायल लोगों को एयर एंबुलेंस के मदद से भारत भेजा जाएगा.
पश्चिमी नेपाल में 2015 के बाद आए सबसे भीषण भूकंप में कम से कम 157 लोग मारे गए और 150 से अधिक अन्य घायल हो गए. भूकंप के कारण हिमालयी देश के दूरदराज के इलाकों में सैकड़ों घरों को नुकसान पहुंचा. भूकंप का केंद्र काठमांडू से लगभग 500 किमी उत्तर पश्चिम में जजरकोट जिले में था. भारत-नेपाल सीमा के नजदीक हिमालय की तलहटी में स्थित नेपालगंज काठमांडू की तुलना में भूकंप प्रभावित क्षेत्र के करीब है.
नेपाल हॉस्पिटल का इमरजेंसी वार्ड मरीजों से भरा
नेपाल के भूकंप प्रभावित इलाकों से बच्चों समेत करीब 30 घायल लोगों को भेरी हॉस्पिटल लाया गया. ये जजरकोट के पास का सबसे बड़ा हॉस्पिटल है. भेरी हॉस्पिटल के इमरजेंसी वार्ड के बाहर बड़ी संख्या में घायलों के रिश्तेदार जमा हो गए है. PTI की रिपोर्ट के मुताबिक जब उनके संवाददाता ने हॉस्पिटल के इमरजेंसी और नॉर्मल वार्ड का दौरा किया तो वहां बहुत से मरीज ऐसे थे जिनके हाथ या पैर की हड्डी टूटी थी.
नोडल अधिकारी और हृदय रोग विशेषज्ञ डॉ. विपिन आचार्य ने PTI को बताया कि हॉस्पिटल का इमरजेंसी वार्ड मरीजों से भरा हुआ है. उन्होंने कहा, “यहां लाए गए लोगों में से एक बुजुर्ग ने दम तोड़ दिया और दो की हालत गंभीर है.” इस बीच हॉस्पिटल में मौजूद स्थानीय महापौर प्रशांत बिष्ट ने कहा कि उनकी टीम भूकंप में घायल हुए लोगों के परिवारों और रिश्तेदारों की मदद के लिए यहां पहुंची है.
घायलों को भेजा जाएगा लखनऊ
महापौर प्रशांत बिष्ट ने भी कहा कि कुछ घायलों को सुरखेत रेफर किया गया है. उन्होंने कहा, “भूकंप ने बहुत सारे दूरदराज के गांवों को प्रभावित किया. इतनी जल्दी यहां पहुंचना मुश्किल है और इसलिए हमें उम्मीद है कि कल और अधिक घायलों को यहां लाया जा सकता है”.
उन्होंने कहा कि हमारा स्थानीय प्रशासन स्थिति से निपटने और घायलों की मदद करने में अस्पताल की सहायता कर रहा है. जब भी हमें अधिक लोग मिलेंगे, उनमें से कुछ को काठमांडू और कुछ को लखनऊ (भारत में) रेफर किया जा सकता है, ताकि एक ही हॉस्पिटल पर मरीजों का बोझ न बढ़ जाए. हम उन्हें एयरलिफ्ट (हवाई मार्ग से भेजने) करने की योजना बना रहे हैं.”