Saturday, February 22, 2025
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सीमा विवाद पर ट्रंप के मध्यस्थता प्रस्ताव को भारत ने किया खारिज, जानें वजह

नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के बीच कई अहम मुद्दों पर वार्ता हुई, जिसमें चीन का विस्तारवादी रुख और भारत-चीन सीमा विवाद प्रमुख विषय रहे। दोनों नेताओं ने द्विपक्षीय रिश्तों को मजबूत करने, सामरिक सहयोग बढ़ाने और क्षेत्रीय सुरक्षा को लेकर विचार विमर्श किया।

चीन का विस्तारवाद और भारत की चिंता

चीन के विस्तारवादी रुख से भारत के लिए चिंता लगातार बढ़ रही है। पिछले कुछ सालों में चीन ने अपनी नीतियों के जरिए भारतीय सुरक्षा को चुनौती दी है, जिसका प्रमुख उदाहरण डोकलाम विवाद है। इस विवाद के कारण भारत और चीन के रिश्तों में खटास आई थी। हालांकि, चीन ने सीमा विवाद और सैन्य गतिरोध को सुलझाने के लिए कई अहम फैसले किए, फिर भी भारत के लिए चीन पर पूरी तरह भरोसा करना कठिन है।

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ट्रंप ने सीमा विवाद में मध्यस्थता की पेशकश की

संयुक्त संवाददाता सम्मेलन के दौरान राष्ट्रपति ट्रंप ने चीन-भारत सीमा विवाद पर विचार व्यक्त करते हुए कहा, “दोनों देशों के बीच सैन्य झड़पें काफी हिंसक रही हैं, और अगर मैं मदद कर सकता हूं तो मुझे इसे रोकने में खुशी होगी।” उन्होंने कहा कि यह संघर्ष लंबे समय से चल रहा है और इसे समाप्त करना जरूरी है।

भारत की स्पष्ट प्रतिक्रिया: द्विपक्षीय समाधान पर जोर

भारत ने स्पष्ट रूप से कहा कि वह द्विपक्षीय तरीके से ही सीमा विवाद को हल करने के पक्ष में है। विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने कहा, “हमारे किसी भी पड़ोसी के साथ हमारे जो भी मुद्दे हैं, हमने हमेशा द्विपक्षीय दृष्टिकोण अपनाया है और हम इन मुद्दों को सुलझाने में सक्षम हैं।” भारत का यह रुख स्पष्ट करता है कि वह किसी भी बाहरी मध्यस्थता के खिलाफ है और चाहता है कि विवादों का समाधान दोनों देशों के बीच सीधे वार्ता के जरिए हो।

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भारत-पाकिस्तान रिश्तों पर ट्रंप की टिप्पणी

इस दौरान, राष्ट्रपति ट्रंप ने भारत और पाकिस्तान के रिश्तों में सुधार लाने की भी पेशकश की। हालांकि, भारत ने इस पर भी यह स्पष्ट किया कि वह द्विपक्षीय तरीके से अपने सभी मुद्दों को सुलझाने में सक्षम है और किसी तीसरी पार्टी की मदद की आवश्यकता नहीं है।

गाजा पर ट्रंप का बयान और अंतरराष्ट्रीय हलचल

इस वार्ता के दौरान एक अन्य प्रमुख मुद्दा गाजा का था, जिस पर ट्रंप ने घोषणा की कि वह अमेरिकी सेना को गाजा भेजने की योजना बना रहे हैं। उन्होंने कहा कि गाजा का पुनर्विकास किया जाएगा और फलस्तीनियों को गाजा से बाहर निकाला जाएगा। यह बयान अंतरराष्ट्रीय स्तर पर हंगामा मचा गया है और कई देशों ने इसका विरोध किया है।

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