जयपुर, राजस्थान: राजस्थान की राजनीति में चर्चा का केंद्र बने नए जिलों और संभागों को खत्म करने के मुद्दे पर अब 7 फरवरी को विधानसभा में आधे घंटे की विशेष चर्चा होगी। यह वही मुद्दा है, जिस पर सरकार अब तक सड़क से लेकर सदन तक चर्चा करने से बचती रही थी। पूर्ववर्ती अशोक गहलोत सरकार द्वारा बनाए गए 9 नए जिलों और 3 संभागों को भजनलाल शर्मा सरकार ने हाल ही में रद्द कर दिया था, जिसके खिलाफ जनता ने सड़कों पर प्रदर्शन किया और राजस्थान हाई कोर्ट में जनहित याचिका भी दायर की गई है।
सरकार का तर्क: राजनीतिक लाभ के लिए बनाए गए थे जिले
कैबिनेट बैठक के बाद भजनलाल सरकार ने नए जिलों और संभागों को रद्द करने का ऐलान किया था। सरकार का कहना है कि इन जिलों के निर्माण में जनसंख्या, भौगोलिक सीमा और आर्थिक प्रावधान जैसे महत्वपूर्ण मापदंडों का पालन नहीं किया गया था। सरकार का आरोप है कि कांग्रेस सरकार ने राजनीतिक लाभ के लिए जिलों का निर्माण किया था, लेकिन विधानसभा चुनावों में इन क्षेत्रों से कांग्रेस के प्रत्याशियों को हार का सामना करना पड़ा।

विपक्ष का हमला: अदालत के नाम पर चर्चा से बच रही सरकार
जिन जिलों को खत्म किया गया है, वहां के 35 विधायकों ने इस फैसले पर सरकार से जवाब मांगते हुए स्थगन प्रस्ताव पेश किया, जिसे विधानसभा अध्यक्ष वासुदेव देवनानी ने स्वीकार कर लिया। हालांकि, संसदीय कार्य मंत्री जोगाराम पटेल ने इसका विरोध किया और कहा कि मामला अदालत में लंबित है, इसलिए सदन में इस पर चर्चा नहीं होनी चाहिए। नेता प्रतिपक्ष टीकाराम जूली ने इस तर्क का खंडन करते हुए कहा कि सिर्फ दो जिलों को लेकर अदालत में याचिका है, बाकी जिलों और संभागों पर चर्चा संभव है। उन्होंने यह भी जोड़ा कि बिजली चोरी जैसे कई मुद्दों पर अदालती मामलों के बावजूद सदन में चर्चा होती रही है, इसलिए अदालत के नाम पर विधायकों के अधिकार सीमित नहीं किए जा सकते।
भाजपा विधायकों की असमंजस की स्थिति
सदन में इस मुद्दे पर तीखी बहस के दौरान भाजपा के कई विधायक असमंजस में नजर आए, जिनके क्षेत्रों के जिले खत्म कर दिए गए हैं। यहां तक कि डिप्टी सीएम प्रेमचंद बैरवा, जिनका दूदू जिला भी रद्द कर दिया गया है, इस मुद्दे पर सरकार से सवाल उठाने में हिचकिचाते दिखे। इस स्थिति ने पार्टी के भीतर विरोधाभास को उजागर किया है।

स्पीकर का फैसला: आधे घंटे की विशेष चर्चा
विधानसभा में हंगामे के बीच स्पीकर वासुदेव देवनानी ने घोषणा की कि 7 फरवरी को नए जिलों और संभागों को खत्म करने के मुद्दे पर आधे घंटे के लिए विशेष चर्चा आयोजित की जाएगी। सरकार को इस चर्चा के दौरान अपना पक्ष स्पष्ट करना होगा। यह फैसला सरकार के लिए मुश्किलें पैदा कर सकता है क्योंकि इससे न केवल अदालत में चल रहे मामले पर सरकार का रुख साफ होगा, बल्कि इन क्षेत्रों में जारी आंदोलनों पर भी असर पड़ेगा।
किन जिलों और संभागों को किया गया खत्म?
सरकार ने जिन तीन नए संभागों को खत्म किया है, वे हैं:
- सीकर
- पाली
- बांसवाड़ा
साथ ही जिन 9 नए जिलों को रद्द किया गया है, वे हैं:
- दूदू
- केकड़ी
- शाहपुरा
- नीमकाथाना
- गंगापुर सिटी
- जयपुर ग्रामीण
- अनूपगढ़
- सांचौर
हालांकि, कुछ नए जिले जैसे डीग, बालोतरा, खैरथल-तिजारा, ब्यावर, कोटपूतली-बहरोड़, डीडवाना-कुचामन, फलोदी और सलूंबर यथावत रहेंगे।