बेंगलुरु: बेंगलुरु के युवा इंजीनियर अतुल सुभाष की आत्महत्या का मामला लगातार सुर्खियों में बना हुआ है। इस घटना ने न केवल समाज को झकझोर कर रख दिया है, बल्कि पुरुषों के प्रति न्यायिक और सामाजिक संवेदनाओं पर भी सवाल खड़े कर दिए हैं। अतुल सुभाष द्वारा आत्महत्या से पहले बनाया गया 80 मिनट का वीडियो और 24 पन्नों का सुसाइड नोट समाज की गहराईयों में जमे कड़वे सच को उजागर कर रहे हैं।
कंगना रनौत का बयान
बीजेपी सांसद कंगना रनौत ने इस मामले पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा, “मैं स्तब्ध हूं। उनका वीडियो दिल दहला देने वाला है। मामला साम्यवाद, समाजवाद और नारीवाद से भरा हुआ है। करोड़ों की उगाही जो उनकी क्षमता से परे थी, निंदनीय है। फिर भी, हम एक गलत महिला का उदाहरण दूसरी महिलाओं को प्रताड़ित करने के लिए इस्तेमाल नहीं कर सकते। 99% शादियों में पुरुषों की गलती होती है।”
कंगना के इस बयान ने लोगों के बीच बहस छेड़ दी है कि क्या मौजूदा सामाजिक और कानूनी व्यवस्था में पुरुषों के अधिकारों और उनके जीवन की समस्याओं को पर्याप्त ध्यान दिया जाता है।
पत्नी के आरोप
अतुल सुभाष की पत्नी निकिता सिंघानिया ने उन पर दहेज उत्पीड़न सहित कई गंभीर आरोप लगाए थे। इन आरोपों के चलते अतुल मानसिक रूप से बेहद परेशान थे। बेंगलुरु स्थित अपने घर पर उन्होंने आत्महत्या कर ली। घटना स्थल पर पुलिस को एक तख्ती भी मिली, जिस पर लिखा था, “जस्टिस इज ड्यू” (न्याय अभी बाकी है)।
सुसाइड नोट और वीडियो के माध्यम से आवाज
अतुल सुभाष द्वारा रिकॉर्ड किया गया 80 मिनट का वीडियो और 24 पन्नों का सुसाइड नोट न केवल उनकी पीड़ा का बयान करता है, बल्कि समाज और न्याय व्यवस्था की खामियों को भी उजागर करता है। उन्होंने अपने वीडियो और सुसाइड नोट में अपनी पत्नी और उसके परिवार पर पैसे ऐंठने और झूठे आरोपों में फंसाने का आरोप लगाया। उन्होंने अपील की कि उनके सुसाइड नोट और वीडियो को अदालत में सबूत के रूप में पेश किया जाए।
बच्चे की कस्टडी की मांग
अतुल ने अपने सुसाइड नोट में लिखा कि उनके बच्चे की कस्टडी उनके माता-पिता को दी जाए। यह एक स्पष्ट संकेत है कि उन्होंने अपने बच्चे के भविष्य को लेकर गहरी चिंता व्यक्त की थी।
परिवार की अपील
अतुल सुभाष के भाई ने समाचार एजेंसी से बातचीत करते हुए कहा, “मेरी डिमांड है कि मेरे भाई को न्याय मिलना चाहिए। मेरी सिस्टम से अपेक्षा है कि पुरुषों के लिए भी कोई कानून आए। जो मेरे भाई के साथ हुआ, वह इस देश में बहुत सारे लोगों के साथ हो रहा है। एक पुरुष की जिंदगी भी उतनी ही महत्वपूर्ण है, जितनी एक महिला की। ऐसा न हो कि पुरुषों को शादी से डर लगने लगे और वह सिर्फ एटीएम मशीन बनकर रह जाएं।”