पूर्वी लद्दाख में तनाव कम: भारत और चीन के बीच पूर्वी लद्दाख के विवादित क्षेत्रों से सैनिकों की वापसी को लेकर हो रही प्रगति के बीच, दोनों देशों ने द्विपक्षीय संबंधों में सुधार के लिए गंभीर कदम उठाने की सहमति व्यक्त की है। चीन के विदेश मंत्रालय ने शुक्रवार को एक बयान में पुष्टि की कि पूर्वी लद्दाख में गलवान समेत चार विवादित बिंदुओं से सैनिकों की वापसी पूरी हो चुकी है। यह निर्णय गुरुवार को रूस के सेंट पीटर्सबर्ग में ब्रिक्स देशों के सुरक्षा सलाहकारों की बैठक के इतर हुई उच्च-स्तरीय चर्चा के दौरान लिया गया।
डोभाल और वांग की बैठक: सीमा विवाद पर चर्चा
बैठक में भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल और चीनी विदेश मंत्री वांग यी ने सीमा विवाद के विभिन्न पहलुओं पर विस्तार से चर्चा की। चीन के विदेश मंत्रालय द्वारा जारी प्रेस विज्ञप्ति के अनुसार, दोनों पक्षों ने हाल के सीमा वार्ताओं में हुए प्रगति पर संतोष जताया और द्विपक्षीय संबंधों में सुधार की दिशा में माहौल बनाने के लिए मिलकर काम करने की सहमति व्यक्त की।
चीन के विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता माओ निंग ने शुक्रवार को आयोजित प्रेस वार्ता में कहा, “दोनों सेनाओं ने गलवान घाटी समेत चार विवादित क्षेत्रों से सैनिकों की वापसी की प्रक्रिया को पूरा कर लिया है, और वर्तमान में सीमा पर स्थिति स्थिर है।” यह टिप्पणी ऐसे समय में आई है जब भारत और चीन के बीच सैन्य गतिरोध के कारण द्विपक्षीय संबंधों में तनाव बना हुआ है।
एस. जयशंकर की टिप्पणी पर चीन की प्रतिक्रिया
चीन की प्रवक्ता माओ निंग की टिप्पणी भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर के हालिया बयान के जवाब में आई है, जिसमें जयशंकर ने कहा था कि चीन के साथ सैनिकों की वापसी की प्रक्रिया 75 प्रतिशत तक पूरी हो चुकी है, लेकिन सीमा पर बढ़ते सैन्यीकरण का मुद्दा अब भी बड़ा बना हुआ है। डोभाल और वांग, दोनों ही विशेष प्रतिनिधि के रूप में भारत-चीन सीमा वार्ता तंत्र का हिस्सा हैं और उन्होंने इस मुद्दे पर ठोस वार्ता की।
वांग यी का बयान: मतभेदों को हल करने का आह्वान
बैठक के बाद, वांग यी ने कहा कि एक अशांत विश्व के सामने, भारत और चीन जैसे दो प्राचीन पूर्वी सभ्यताओं को एक-दूसरे के साथ सहयोग और शांति बनाए रखने के लिए निरंतर प्रयास करने चाहिए। वांग ने यह भी कहा कि दोनों देशों को स्वतंत्रता की भावना बनाए रखते हुए, एकता और सहयोग को प्राथमिकता देनी चाहिए और एक-दूसरे के हितों को नुकसान पहुंचाने से बचना चाहिए।
वांग ने उम्मीद जताई कि दोनों पक्ष व्यावहारिक दृष्टिकोण से अपने मतभेदों को हल करेंगे और चीन-भारत संबंधों को स्वस्थ और स्थिर विकास के रास्ते पर लाने के लिए एक साझा दृष्टिकोण विकसित करेंगे।
भविष्य की दिशा: शेष बिंदुओं से भी सैनिकों की वापसी पर सहमति
भारत के विदेश मंत्रालय द्वारा जारी बयान के अनुसार, डोभाल और वांग ने पूर्वी लद्दाख के बाकी शेष बिंदुओं से भी सैनिकों की पूर्ण वापसी की दिशा में काम करने पर सहमति जताई है। दोनों पक्ष इस लक्ष्य को जल्द से जल्द प्राप्त करने के लिए अपने प्रयासों को दोगुना करेंगे। इसके साथ ही, उन्होंने सीमावर्ती क्षेत्रों में शांति और स्थिरता को बनाए रखने की आवश्यकता पर भी बल दिया।
बैठक में यह भी स्पष्ट किया गया कि सीमा पर शांति और स्थिरता के बिना द्विपक्षीय संबंधों की सामान्य स्थिति बहाल नहीं हो सकती। डोभाल ने इस बात पर जोर दिया कि वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) का सम्मान दोनों देशों के आपसी संबंधों में सुधार के लिए आवश्यक है।
भारत-चीन संबंधों का भविष्य: चुनौतियां और अवसर
भारत और चीन के बीच मई 2020 से शुरू हुआ सैन्य गतिरोध अभी तक पूरी तरह समाप्त नहीं हो पाया है, लेकिन दोनों पक्षों ने अब तक कोर कमांडर स्तर की 21 दौर की वार्ताएं की हैं। गलवान घाटी में जून 2020 में हुई झड़प के बाद से दोनों देशों के संबंधों में तनाव बढ़ गया था, और इस संघर्ष के बाद दोनों सेनाओं ने सीमा के कई हिस्सों से सैनिकों की वापसी की प्रक्रिया शुरू की थी।