Sunday, July 27, 2025
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CBSE ने 9वीं-10वीं में 3 भाषाएं और 11वीं-12वीं में 2 भाषाएं अनिवार्य कीं

नई शिक्षा नीति (NEP) 2020 के तहत, CBSE ने 9वीं-10वीं कक्षा के छात्रों के लिए तीन भाषाएं और 11वीं-12वीं कक्षा के छात्रों के लिए दो भाषाएं अनिवार्य करने का निर्देश दिया है। यह बदलाव 2023-24 शैक्षणिक सत्र से लागू होगा।

9वीं-10वीं कक्षा में

  • छात्रों को दो भारतीय भाषाएं और एक विदेशी भाषा पढ़नी होगी।
  • उन्हें कुल 10 विषयों का अध्ययन करना होगा, जिसमें भाषाएं भी शामिल हैं।
  • प्रत्येक विषय के लिए अध्ययन का घंटा तय किया गया है।
  • भाषा, पर्यावरण शिक्षा के लिए 120 घंटे और विज्ञान, सामाजिक विज्ञान के लिए 150 घंटे का अध्ययन होगा।
  • प्रत्येक विषय में कम से कम 50 घंटे का प्रोजेक्ट वर्क भी अनिवार्य होगा।
  • कला और शारीरिक शिक्षा को भी अनिवार्य किया गया है।
  • कला, शारीरिक और स्वास्थ्य के लिए 60 घंटे का अध्ययन होगा।
  • 9वीं-10वीं में 10 विषयों में उत्तीर्ण होना होगा।
  • भाषा 1 में कोई भी विदेशी भाषा (अंग्रेजी, फ्रेंच, जर्मन, स्पेनिश) रखी जा सकती है।
  • भाषा 2-3 में दो भारतीय भाषाएं (हिंदी, संस्कृत, पंजाबी, बंगाली) रखी जा सकती हैं।
  • कोर विषयों में गणित, विज्ञान और सामाजिक विज्ञान शामिल होंगे।
  • स्किल विषयों में कंप्यूटर, शारीरिक शिक्षा, कला शिक्षा और पर्यावरण शिक्षा शामिल होंगे।

11वीं कक्षा में

  • छात्रों को दो भाषा विषय और चार अन्य विषयों का अध्ययन करना होगा।
  • इन छह विषयों में उत्तीर्ण होना होगा।
  • अंकों के साथ-साथ क्रेडिट सिस्टम भी लागू होगा।
  • दो बार बोर्ड परीक्षा होने की संभावना है, जिसमें थ्योरी में बेहतर अंक वाला ही लिया जाएगा।

यह बदलाव क्यों किया गया है?

  • NEP 2020 का लक्ष्य छात्रों को बहुभाषी बनाना और उन्हें विभिन्न भाषाओं और संस्कृतियों के बारे में जागरूक करना है।
  • यह बदलाव छात्रों को अपनी रुचि के अनुसार विषयों का चयन करने की अधिक स्वतंत्रता भी प्रदान करेगा।

इस बदलाव के क्या फायदे हैं?

  • यह छात्रों को बेहतर संचार कौशल विकसित करने में मदद करेगा।
  • यह उन्हें विभिन्न भाषाओं और संस्कृतियों को समझने में मदद करेगा।
  • यह उन्हें अपनी रुचि के अनुसार विषयों का चयन करने की अधिक स्वतंत्रता प्रदान करेगा।

इस बदलाव के क्या नुकसान हैं?

  • कुछ छात्रों को तीन भाषाओं का अध्ययन करना मुश्किल लग सकता है।
  • यह स्कूलों और शिक्षकों पर अतिरिक्त बोझ डाल सकता है।

निष्कर्ष:

CBSE द्वारा 9वीं-10वीं में 3 भाषाएं और 11वीं-12वीं में 2 भाषाएं अनिवार्य करने का बदलाव एक सकारात्मक कदम है। यह छात्रों को बेहतर संचार कौशल विकसित करने और विभिन्न भाषाओं और संस्कृतियों को समझने में मदद करेगा। हालांकि, इस बदलाव को लागू करने में कुछ चुनौतियां भी हो सकती हैं।

अतिरिक्त जानकारी:

  • CBSE ने सभी स्कूलों को इस बदलाव को लागू करने के लिए निर्देश दिया है।
  • CBSE ने स्कूलों को भाषाओं और अन्य विषयों के लिए अध्ययन का घंटा तय करने के लिए भी निर्देश दिया है।
  • CBSE ने स्कूलों को छात्रों को उनकी रुचि के अनुसार विषयों का चयन करने की अधिक स्वतंत्रता प्रदान करने के लिए भी निर्देश दिया है।
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