कर्नाटक: गोकर्ण क्षेत्र की एक गुफा में वर्षों से रह रही रूसी महिला नीना कुटीना की जीवन कहानी इन दिनों सुर्खियों में है। नीना अपनी दो बेटियों के साथ लगभग आठ वर्षों से जंगलों में आत्मनिर्भर जीवन बिता रही थीं। अब भारत सरकार की ओर से उन्हें उनके मूल देश रूस भेजने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। इस बीच उनकी व्यक्तिगत जीवन की जटिलताएं और पारिवारिक विवाद भी सामने आए हैं।
नीना ने बताया कि 2017 में उनका वीजा समाप्त हो गया था, लेकिन उन्होंने भारत नहीं छोड़ा क्योंकि उन्हें यहां प्रकृति से गहरा जुड़ाव महसूस होता था। उन्होंने गुफा में बच्चों के साथ एक शांत, कलात्मक और आत्मनिर्भर जीवन जिया। उनका दावा है कि गोवा की एक गुफा में उन्होंने अपनी एक बेटी को जन्म दिया और वर्षों से पेंटिंग, किताबें और संगीत के सहारे उन्होंने अपने परिवार का पालन-पोषण किया।
नीना का कहना है कि भारत उनके लिए मानसिक और आध्यात्मिक शांति का केंद्र रहा है। उनका यह भी दावा है कि वह अब तक करीब 20 देशों के जंगलों में रह चुकी हैं, लेकिन गोकर्ण की गुफा उनके लिए स्वर्ग जैसी रही। अब जब उन्हें डिटेंशन सेंटर में रखा गया है और रूस भेजने की तैयारी हो रही है, तो उन्होंने कहा कि यह उनके लिए एक नर्क जैसा अनुभव है।
वहीं इस मामले में उनके पति ड्रोर गोल्डस्टीन ने साझा कस्टडी की मांग करते हुए भारत सरकार से अपील की है कि बेटियों को उनके संपर्क में रखा जाए। उन्होंने आरोप लगाया है कि नीना उन्हें बिना बताए गोवा से चली गई थीं और उन्होंने इस बाबत पुलिस में गुमशुदगी की रिपोर्ट भी दर्ज कराई थी। ड्रोर ने यह भी दावा किया है कि नीना वीजा समाप्ति को लेकर झूठ बोल रही हैं और अब बेटियों से उन्हें मिलने भी नहीं दिया जा रहा।
ड्रोर गोल्डस्टीन एक इजरायली बिजनेसमैन हैं और फिलहाल भारत में बिजनेस वीजा पर रह रहे हैं। उनका कहना है कि अगर बेटियों को रूस भेजा गया तो वह उनसे संपर्क बनाए नहीं रख पाएंगे, जिससे उनका पारिवारिक जीवन पूरी तरह से टूट जाएगा।
इस पूरे मामले में एफआरआरओ अधिकारियों ने नीना के परिवार से संपर्क किया है और उसे भारत में अवैध रूप से रहने के कारण डिपोर्ट करने की प्रक्रिया में जुटे हैं। फिलहाल नीना को बेंगलुरु के एक डिटेंशन सेंटर में रखा गया है, जहां से उन्हें जल्द ही रूस भेजा जा सकता है।
नीना की अनोखी और संघर्षपूर्ण जीवन यात्रा अब सोशल मीडिया पर भी चर्चा का विषय बन गई है। कई लोग उनके आत्मनिर्भर और प्रकृति से जुड़े जीवन को प्रेरणादायक बता रहे हैं, वहीं कुछ लोग वीजा उल्लंघन को लेकर कानूनी कार्रवाई को सही ठहरा रहे हैं। इस मामले ने भारतीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रवास, परिवार और स्वतंत्रता जैसे संवेदनशील मुद्दों पर बहस को एक बार फिर से जन्म दे दिया है।