झुंझुनूं, राजस्थान: वीरों की भूमि झुंझुनूं एक बार फिर देश की सेवा में उत्कृष्ट उदाहरण पेश करते हुए गर्वित हुआ है। शहीद स्क्वाड्रन लीडर कुलदीप सिंह राव की पत्नी यश्विनी ढाका ने अपने पति को दिए गए वचन को पूरा कर भारतीय सेना में लेफ्टिनेंट पद पर कमीशन प्राप्त किया है।
शहादत और वचन
8 दिसंबर 2021 को तमिलनाडु के कुन्नूर में हुए हेलीकॉप्टर हादसे में देश के पहले सीडीएस (चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ) जनरल बिपिन रावत, उनकी पत्नी और अन्य 12 व्यक्तियों के साथ स्क्वाड्रन लीडर कुलदीप सिंह राव शहीद हो गए थे। इस हादसे के बाद, झुंझुनूं के घरड़ाना खुर्द गांव में शोक की लहर दौड़ गई। जब शहीद कुलदीप सिंह राव की पार्थिव देह गांव पहुंची, तो पूरे जिले ने उन्हें सम्मानपूर्वक अंतिम विदाई दी।
इस दुखद घटना के दौरान, यश्विनी ढाका ने अपने शहीद पति के बलिदान को आगे बढ़ाने का संकल्प लिया। उन्होंने वचन दिया कि वे देश सेवा के इस पवित्र कार्य को पूरा करेंगी और सेना में शामिल होकर अपने पति का सपना पूरा करेंगी।
सपने को किया साकार
यश्विनी ढाका ने अपने वचन को निभाने की दिशा में कठोर परिश्रम किया। उन्होंने एसएसबी (सर्विस सलेक्शन बोर्ड) की 5-दिवसीय परीक्षा और मेडिकल परीक्षा पास की। इसके बाद अक्टूबर 2023 में उन्होंने चेन्नई स्थित ऑफिसर ट्रेनिंग अकादमी (ओटीए) में 11 महीने की कठिन ट्रेनिंग शुरू की। इस ट्रेनिंग को सफलतापूर्वक पूरा करते हुए, उन्होंने भारतीय सेना में लेफ्टिनेंट के रूप में कमीशन प्राप्त किया।
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परिवार की भावुक प्रतिक्रिया
यश्विनी ढाका के इस महान उपलब्धि पर शहीद स्क्वाड्रन लीडर कुलदीप सिंह राव के परिवार में गर्व और भावुकता का माहौल था। शहीद के पिता सेवानिवृत्त सूबेदार रणधीर सिंह, माता कमला देवी और बहन कमांडेंट अभिता राव ने यश्विनी के कंधों पर बैच लगाए। इस ऐतिहासिक क्षण ने पूरे परिवार को गर्व और संतोष से भर दिया, लेकिन उनकी आंखों में भावुकता भी झलक रही थी।
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वीरों की भूमि का गौरव
झुंझुनूं, जिसे देशभर में वीरों की भूमि के रूप में जाना जाता है, यहां सिर्फ बेटे ही नहीं, बल्कि बेटियां भी देश सेवा में अग्रिम पंक्ति में खड़ी हैं। यश्विनी ढाका का यह साहसिक कदम झुंझुनूं जिले के लिए गौरव का विषय है और यह देशभर में महिलाओं के लिए प्रेरणा का स्त्रोत है।
घरड़ाना खुर्द के समाजसेवी संदीप राव ने कहा कि यश्विनी ढाका का भारतीय सेना में लेफ्टिनेंट के रूप में कमीशन होना न केवल उनके व्यक्तिगत साहस और समर्पण की मिसाल है, बल्कि यह उन सभी महिलाओं के लिए प्रेरणादायक है, जो देश सेवा के क्षेत्र में अपने कदम बढ़ाने का सपना देखती हैं।
इस प्रकार, वीरांगना यश्विनी ढाका ने अपने पति को दिया वचन पूरा कर यह साबित किया कि झुंझुनूं की भूमि सच में वीरों की भूमि है, जहां से देश की सेवा के लिए हमेशा नायक और नायिकाएं निकलते रहेंगे।