संदेशखाली मामला: बुधवार को सुप्रीम कोर्ट ने संदेशखाली मामले में पश्चिम बंगाल सरकार को राहत देने से इनकार कर दिया। इस मामले में मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के नेतृत्व वाली तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) सरकार ने कलकत्ता हाईकोर्ट के उस आदेश को चुनौती दी थी, जिसमें जांच सीबीआई को सौंपने का निर्देश दिया गया था।
टीएमसी के वरिष्ठ वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने जल्द सुनवाई की मांग की थी, लेकिन जस्टिस संजीव खन्ना की बेंच ने सुनवाई पर कोई आदेश देने से मना कर दिया। सिंघवी को चीफ जस्टिस के पास जाने को कहा गया।
मामले की पृष्ठभूमि
यह मामला संदेशखाली में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के अधिकारियों पर हुए हमले से जुड़ा है। 4 जनवरी को ईडी की एक टीम कथित तौर पर राशन घोटाले की जांच के लिए संदेशखाली गई थी। इस दौरान, टीएमसी कार्यकर्ताओं के एक समूह ने कथित तौर पर ईडी अधिकारियों पर हमला कर दिया था।
कलकत्ता हाईकोर्ट का आदेश
कलकत्ता हाईकोर्ट ने 22 फरवरी को इस मामले की जांच सीबीआई को सौंपने का आदेश दिया था। कोर्ट ने टीएमसी से जुड़े आरोपी शाहजहां शेख समेत दूसरे आरोपियों की हिरासत भी सीबीआई को सौंपने का आदेश दिया था।
टीएमसी की याचिका
टीएमसी सरकार ने हाईकोर्ट के आदेश को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी। याचिका में कहा गया है कि हाईकोर्ट ने गलत तरीके से जांच सीबीआई को सौंपी है।
सुप्रीम कोर्ट का फैसला
सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को टीएमसी की याचिका पर सुनवाई करने से इनकार कर दिया। कोर्ट ने कहा कि इस मामले में जल्द सुनवाई की कोई आवश्यकता नहीं है।
अब क्या होगा?
अब यह मामला कलकत्ता हाईकोर्ट में ही सुना जाएगा। हाईकोर्ट 20 मार्च को इस मामले पर अगली सुनवाई करेगा।
राजनीतिक प्रतिक्रिया
टीएमसी ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले की आलोचना की है। पार्टी ने कहा कि यह फैसला राजनीति से प्रेरित है।
भाजपा ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले का स्वागत किया है। पार्टी ने कहा कि यह फैसला सच और न्याय की जीत है।