पुणे, महाराष्ट्र: कांग्रेस नेता राहुल गांधी को पुणे की अदालत से उस मानहानि मामले में राहत मिली है जिसमें उन पर हिंदुत्व विचारक वीर सावरकर पर कथित टिप्पणी करने का आरोप है। सांसदों/विधायकों से जुड़े मामलों की विशेष अदालत में न्यायिक मजिस्ट्रेट (प्रथम श्रेणी) अमोल शिंदे ने सोमवार को गांधी की याचिका को स्वीकार कर लिया, जिसमें उन्होंने मामले को ‘संक्षिप्त मुकदमे’ की बजाय ‘समन मुकदमे’ के रूप में चलाने की अपील की थी।

कोर्ट ने याचिका को क्यों स्वीकार किया?
न्यायाधीश अमोल शिंदे ने अपने आदेश में कहा कि यह मामला प्रथम दृष्टया समन मुकदमे की श्रेणी में आता है क्योंकि इसमें जटिल कानूनी और ऐतिहासिक प्रश्न उठाए गए हैं। कोर्ट ने कहा –
“मौजूदा मामले में आरोपी तथ्यों और कानून के ऐसे सवाल उठा रहा है जो जटिल प्रकृति के हैं। आरोपी ने कुछ मुद्दे भी उठाए हैं जिनका निर्धारण ऐतिहासिक तथ्यों के आधार पर किया जाएगा।”
कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि संक्षिप्त मुकदमे में विस्तृत साक्ष्य और गहन जिरह की अनुमति नहीं होती, जो इस प्रकरण में न्यायहित के प्रतिकूल होता।
समन मुकदमा क्यों महत्वपूर्ण है?
न्यायालय ने कहा कि समन मुकदमे की प्रक्रिया के अंतर्गत:
- आरोपी को ऐतिहासिक साक्ष्य पेश करने का पूरा अवसर मिलेगा।
- शिकायतकर्ता के गवाहों से गहन जिरह की जा सकेगी।
- दोनों पक्षों को निष्पक्ष सुनवाई का अवसर मिलेगा।
न्यायाधीश ने यह भी कहा कि,
“अगर वर्तमान मामले की सुनवाई समन मुकदमे के रूप में की जाती है तो किसी भी पक्ष को कोई नुकसान नहीं होगा।”
क्या है मामला?
यह विवाद मार्च 2023 का है, जब राहुल गांधी ने लंदन में दिए एक भाषण में दावा किया था कि वीर सावरकर ने अपनी पुस्तक में लिखा है कि उन्होंने और उनके कुछ साथियों ने एक मुस्लिम व्यक्ति की पिटाई की थी और इससे उन्हें खुशी हुई थी।

इस टिप्पणी के खिलाफ वीर सावरकर के रिश्ते के पोते सत्यकी सावरकर ने पुणे की अदालत में शिकायत दर्ज कराई।
शिकायत में कहा गया है कि,
“ऐसी कोई घटना कभी नहीं हुई और न ही सावरकर ने इस प्रकार का कोई लेख लिखा है। राहुल गांधी का दावा झूठा, काल्पनिक और दुर्भावनापूर्ण है।”