Wednesday, July 23, 2025
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राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ के खिलाफ विपक्ष ने अविश्वास प्रस्ताव की तैयारी की, टीएमसी और सपा का भी समर्थन

नई दिल्ली: राज्यसभा में विपक्षी दलों ने सभापति जगदीप धनखड़ पर पक्षपात का आरोप लगाते हुए उनके खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने की तैयारी कर ली है। विपक्षी गठबंधन आईएनडीआईए ने मंगलवार को राज्यसभा सचिवालय में संविधान के अनुच्छेद 67(बी) के तहत इस प्रस्ताव का नोटिस देने की योजना बनाई है। विपक्षी दलों का आरोप है कि धनखड़ सदन की गरिमा को ठेस पहुंचाते हुए सत्तापक्ष के पक्ष में पक्षपातपूर्ण रवैया अपना रहे हैं और विपक्ष को अपनी बात रखने से रोक रहे हैं।

टीएमसी और सपा ने दिया समर्थन

अविश्वास प्रस्ताव पर विपक्ष को तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) और समाजवादी पार्टी (सपा) का भी समर्थन प्राप्त हुआ है। सूत्रों के अनुसार, इस प्रस्ताव पर अब तक 70 से अधिक सांसदों ने हस्ताक्षर कर दिए हैं। इन हस्ताक्षरों में आईएनडीआईए गठबंधन की लगभग सभी पार्टियों के सदस्यों के साथ-साथ टीएमसी और सपा के सांसद भी शामिल हैं। यह पहली बार है जब टीएमसी और सपा, कांग्रेस से दूरी बनाए रखने के बावजूद इस प्रस्ताव में सहयोग कर रहे हैं।

धनखड़ पर क्या हैं विपक्ष के आरोप?

विपक्ष का कहना है कि जगदीप धनखड़ सदन में सत्तारूढ़ दल के हितों का समर्थन कर रहे हैं। तृणमूल कांग्रेस और कांग्रेस के सांसदों ने उन पर सदन के रिकॉर्ड से विपक्ष की बातों को हटाने का आरोप लगाया है। टीएमसी के एक सांसद ने कहा, “आसन का पक्षपातपूर्ण रवैया संसदीय नियमों और लोकतांत्रिक परंपराओं का उल्लंघन है। यह न केवल सदन की मर्यादा को तोड़ता है, बल्कि लोकतंत्र पर भी प्रहार करता है।”

कांग्रेस सांसद दिग्विजय सिंह ने इसे लोकतंत्र के खिलाफ बताते हुए कहा, “विपक्ष सदन को सुचारू रूप से चलाने की मांग कर रहा था, लेकिन सभापति सत्तापक्ष को गतिरोध पैदा करने का मौका दे रहे थे।”

संविधान के अनुच्छेद 67(बी) के तहत प्रस्ताव

संविधान के अनुच्छेद 67(बी) के तहत सभापति के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने के लिए कम-से-कम 50 सांसदों के हस्ताक्षर की आवश्यकता होती है। विपक्षी सूत्रों के अनुसार, इस संख्या को पहले ही जुटा लिया गया है। हालांकि, कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता का कहना है कि एक भी सांसद इस तरह का प्रस्ताव ला सकता है।

संसद में संख्या बल का गणित

राज्यसभा में सत्ता पक्ष के पास बहुमत होने के कारण इस प्रस्ताव का पारित होना असंभव है। विपक्ष को यह बात अच्छी तरह पता है, लेकिन उनके अनुसार, यह कदम सभापति के कथित पक्षपातपूर्ण रवैये के खिलाफ उनकी आपत्ति दर्ज कराने के लिए उठाया जा रहा है।

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