नई दिल्ली: 3 मार्च 2024 को सुप्रीम कोर्ट ने राजस्थानी भाषा को संविधान की 8वीं अनुसूची में शामिल करने की मांग वाली जनहित याचिका को खारिज कर दिया। मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ ने याचिकाकर्ता से कहा कि ‘आप किसी भाषा को 8वीं अनुसूची में शामिल करने के लिए न्यायालय से आदेश नहीं दे सकते।’
याचिकाकर्ता का तर्क:
याचिकाकर्ता ने तर्क दिया कि ‘इसी तरह का एक मामला पहले ही सुप्रीम कोर्ट द्वारा निपटाया जा चुका है’ और ‘8वीं अनुसूची के तहत किसी भाषा को शामिल करना ऐसा मामला नहीं है जिस पर हम परमादेश जारी कर सकें। यह एक नीतिगत मामला है।’
न्यायालय की टिप्पणी:
सीजेआई चंद्रचूड़ ने याचिकाकर्ता से पूछा कि ‘सिर्फ राजस्थानी ही क्यों? अन्य भाषाएं क्यों नहीं?’ उन्होंने याचिकाकर्ता को केंद्र सरकार के पास जाने की सलाह दी और कहा कि ‘यह एक नीतिगत मामला है और न्यायालय इसमें दखल नहीं दे सकता।’
मामले का महत्व:
यह मामला राजस्थानी भाषा बोलने वाले लोगों के लिए महत्वपूर्ण है, जो लंबे समय से अपनी भाषा को 8वीं अनुसूची में शामिल करने की मांग कर रहे हैं। 8वीं अनुसूची में शामिल होने से राजस्थानी भाषा को राष्ट्रीय भाषा का दर्जा मिलेगा और इसे शिक्षा और सरकारी कामकाज में इस्तेमाल किया जा सकेगा।