मणिपुर: मणिपुर में चल रही राजनीतिक उथल-पुथल के बीच, 13 फरवरी 2025 को राष्ट्रपति शासन लागू कर दिया गया। इससे पहले 9 फरवरी को मणिपुर के मुख्यमंत्री बीरेन सिंह ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया था। उनका यह इस्तीफा राज्य में लगभग दो साल से चल रही जातीय हिंसा के मद्देनजर आया था। इसके अलावा, राज्य में उनके शासन के दौरान कई अन्य मुद्दों पर भी उन्हें आलोचना का सामना करना पड़ा। बीरेन सिंह के इस्तीफे के बाद यह चर्चा होने लगी थी कि राष्ट्रपति शासन लागू किया जा सकता है, जो अब हकीकत बन गया है।
बीरेन सिंह का इस्तीफा और विधानसभा सत्र की स्थिति
बीरेन सिंह के इस्तीफे से पहले मणिपुर विधानसभा का सत्र 10 फरवरी से शुरू होने वाला था। हालांकि, मुख्यमंत्री के इस्तीफे के बाद विधानसभा सत्र को स्थगित करने का आदेश जारी किया गया। यह स्थिति उस समय बनी, जब कांग्रेस पार्टी विधानसभा में बीरेन सिंह के खिलाफ नो कॉन्फिडेंस मोशन लाने की तैयारी कर रही थी। बीरेन सिंह के इस्तीफे ने इस राजनीति घटनाक्रम को और तेज कर दिया, और अब राष्ट्रपति शासन लागू होने के बाद राज्य में राजनीतिक उथल-पुथल पर विराम लग गया है।
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राष्ट्रपति शासन लागू होने का असर
राष्ट्रपति शासन लागू होने से राज्य की शासन व्यवस्था में कई महत्वपूर्ण बदलाव होंगे। अब राज्य का प्रशासन राष्ट्रपति के नियंत्रण में आ जाएगा। राष्ट्रपति अपने प्रतिनिधि के तौर पर राज्यपाल को प्रशासन चलाने की जिम्मेदारी देंगे, और राज्यपाल केंद्र के निर्देशों के आधार पर शासन करेंगे। इस प्रक्रिया के तहत, राज्य में किसी भी पार्टी या गठबंधन ने सरकार बनाने का दावा पेश नहीं किया था, जिससे यह स्थिति उत्पन्न हुई।
राज्य के कानूनों पर प्रभाव
आमतौर पर राज्य की विधानसभा कानून बनाती है, लेकिन राष्ट्रपति शासन लागू होने के बाद राज्य के कानून अब संसद द्वारा बनाए जाएंगे। यदि संसद का सत्र नहीं चल रहा हो तो राष्ट्रपति अध्यादेश जारी कर सकते हैं। राष्ट्रपति शासन का समय 6 महीने तक होता है, लेकिन इसे 3 साल तक बढ़ाया जा सकता है, यदि संसद से अनुमति प्राप्त हो।
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राष्ट्रपति शासन लागू होने के कारण
राष्ट्रपति शासन लागू करने का प्रमुख कारण संविधान के प्रावधानों के पालन में राज्य सरकार की असमर्थता होता है। जब राज्य सरकार कानून-व्यवस्था बनाए रखने में असफल रहती है, तो राष्ट्रपति शासन लागू किया जा सकता है। इसके अलावा, सरकार का अल्पमत में आना, स्थिर सरकार का गठन न हो पाना, भ्रष्टाचार, विद्रोह, आपदा या अन्य कारणों से भी राष्ट्रपति शासन लागू किया जा सकता है।