भारतीय नौसेना के लिए 26 राफेल मरीन फाइटर जेट्स की डील को कैबिनेट की मंजूरी, जल्द होंगे हस्ताक्षर
नई दिल्ली: भारत सरकार ने फ्रांस से 26 राफेल मरीन (Rafale M) लड़ाकू विमानों की खरीद के लिए 63,000 करोड़ रुपये से अधिक की मेगा डील को सैद्धांतिक मंजूरी दे दी है। रक्षा मंत्रालय के सूत्रों के अनुसार, इस सौदे पर जल्द ही हस्ताक्षर किए जाएंगे। यह डील भारत की समुद्री रक्षा क्षमता को अत्याधुनिक स्तर तक पहुँचाने की दिशा में एक ऐतिहासिक कदम मानी जा रही है।

भारत-फ्रांस रक्षा सहयोग को नई मजबूती
समाचार एजेंसी ANI के अनुसार, यह डील प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता वाली कैबिनेट कमेटी ऑन सिक्योरिटी (CCS) से मंजूरी प्राप्त करने के बाद अंतिम रूप ले चुकी है। दोनों देशों के बीच राफेल मरीन की खरीद को लेकर पिछले कई महीनों से बातचीत चल रही थी। 2023 में प्रधानमंत्री की फ्रांस यात्रा के दौरान इस प्रस्ताव को सार्वजनिक किया गया था, जिसके बाद भारत ने फ्रांस को लेटर ऑफ रिक्वेस्ट (LoR) भेजा था, जिसे दिसंबर 2023 में फ्रांस सरकार ने स्वीकार कर लिया।
राफेल M की डिलीवरी टाइमलाइन
- हस्ताक्षर के पांच साल बाद डिलीवरी शुरू होने की संभावना
- 2029 के अंत से डिलीवरी शुरू,
- 2031 तक पूरी खेप भारत को मिल जाएगी
- कुल 22 सिंगल सीटर और 4 ट्विन सीटर विमान होंगे शामिल
इन जेट्स को INS विक्रांत और INS विक्रमादित्य जैसे विमानवाहक पोतों से ऑपरेट किया जाएगा। यह जेट पुराने हो चुके मिग-29K विमानों की जगह लेंगे।
INS विक्रांत पर होगी तैनाती
राफेल मरीन जेट्स को विशेष रूप से भारत के पहले स्वदेशी विमानवाहक पोत INS विक्रांत पर तैनात किया जाएगा। यह नौसेना के मिग-29K लड़ाकू विमानों की सीमाओं को ध्यान में रखते हुए ऑपरेशनल दक्षता में महत्वपूर्ण बढ़ोतरी करेगा।

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IAF की क्षमताएं भी होंगी मजबूत
इस सौदे से भारतीय वायुसेना (IAF) को भी अप्रत्यक्ष रूप से लाभ मिलेगा। IAF पहले से ही 36 राफेल जेट्स को अंबाला और हाशिमारा एयरबेस से ऑपरेट कर रही है। नया सौदा इन विमानों की “बडी-बडी” एयर-टू-एयर रिफ्यूलिंग प्रणाली को उन्नत करेगा, जिससे लगभग 10 विमानों को हवा में ही ईंधन भरने में मदद मिलेगी और उनकी ऑपरेशनल रेंज में इजाफा होगा।
रक्षा सूत्रों के अनुसार, इस डील में IAF के लिए ग्राउंड सपोर्ट सिस्टम, सॉफ्टवेयर अपग्रेड्स और लॉजिस्टिक सपोर्ट भी शामिल होंगे।
तकनीकी विशेषताएं: राफेल मरीन की ताकत
विशेषता | विवरण |
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इंजन | अधिक शक्तिशाली इंजन जो स्की-जंप टेक-ऑफ को सक्षम बनाता है |
लैंडिंग क्षमता | कम जगह पर लैंडिंग, जिसे ‘Short Take-Off but Arrested Landing (STOBAR)’ कहा जाता है |
कॉमन स्पेयर पार्ट्स | दोनों वेरिएंट्स (IAF व नौसेना) में 85% समान पार्ट्स |
ऑपरेशनल रेंज | हवा में रिफ्यूलिंग के कारण रेंज में बढ़ोतरी |
सटीक निशाना | आधुनिक हथियार प्रणाली और इलेक्ट्रॉनिक वारफेयर |