नई दिल्ली: भारत ने रक्षा क्षेत्र में एक और बड़ी उपलब्धि हासिल करते हुए मंगलवार, 12 नवंबर को लंबी दूरी की लैंड अटैक क्रूज मिसाइल (LRLACM) का पहला सफल परीक्षण किया। इस मिसाइल परीक्षण का नेतृत्व डिफेंस रिसर्च एंड डेवलपमेंट ऑर्गेनाइजेशन (DRDO) ने किया, जिसने ओडिशा के चांदीपुर स्थित इंटीग्रेटेड टेस्ट रेंज (ITR) से इस परीक्षण को अंजाम दिया। इस उपलब्धि से भारत की रक्षा क्षमता को और मजबूती मिली है, जिससे दुश्मन देशों के मन में डर पैदा हुआ है।
DRDO की LRLACM का सफल परीक्षण
DRDO द्वारा चांदीपुर के इंटीग्रेटेड टेस्ट रेंज से मोबाइल आर्टिकुलेटेड लॉन्चर के माध्यम से इस मिसाइल का परीक्षण किया गया। परीक्षण के दौरान मिसाइल के सभी सबसिस्टम ने पूरी तरह से अपेक्षित कार्यप्रणाली का प्रदर्शन किया और अपने निर्धारित लक्ष्य को सटीकता से भेदा। DRDO का यह प्रयास भारत को स्वदेशी रक्षा उपकरणों के विकास में आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
LRLACM की उड़ान पर DRDO की पैनी नजर
मिसाइल के प्रदर्शन और इसके मार्ग पर नजर रखने के लिए DRDO ने इंटीग्रेटेड टेस्ट रेंज (ITR) के विभिन्न स्थानों पर कई उन्नत रेंज सेंसर स्थापित किए। इसमें रडार, इलेक्ट्रो-ऑप्टीकल ट्रैकिंग सिस्टम (EOTS) और टेलीमेट्री जैसे उपकरण शामिल थे, जो मिसाइल की उड़ान को पूरी तरह से मॉनिटर कर रहे थे। इन उपकरणों के माध्यम से DRDO ने सुनिश्चित किया कि परीक्षण पूरी तरह से सफल रहे।
रक्षा मंत्री ने दी DRDO को बधाई
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने इस सफलता पर DRDO और देश के वैज्ञानिकों को बधाई दी। उन्होंने कहा, “यह परीक्षण भारत की स्वदेशी क्रूज मिसाइल विकास परियोजनाओं का मार्ग प्रशस्त करेगा और देश को आत्मनिर्भरता की ओर एक और कदम आगे बढ़ाएगा।” रक्षा अनुसंधान एवं विकास विभाग के सचिव और DRDO के अध्यक्ष डॉ. समीर वी कामत ने भी टीम को इस सफलता के लिए बधाई दी और मिसाइल के सफल परीक्षण को एक महत्वपूर्ण उपलब्धि बताया।