नई दिल्ली: हाल ही में भारत के खिलाफ पाकिस्तान द्वारा की गई सैन्य कार्रवाई में तुर्किये में निर्मित ड्रोनों का इस्तेमाल किए जाने की पुष्टि ने भारत-तुर्की संबंधों में नई तल्खी पैदा कर दी है। यह जानकारी सामने आने के बाद भारत ने राजनयिक, व्यापारिक और शैक्षणिक स्तरों पर तुर्किये के खिलाफ सख्त कदम उठाने शुरू कर दिए हैं।
तुर्की, जो लंबे समय से पाकिस्तान के साथ अपने घनिष्ठ संबंधों और भारत विरोधी बयानों के लिए चर्चा में रहा है, अब सीधे तौर पर पाकिस्तान की सैन्य गतिविधियों में एक अप्रत्यक्ष साझेदार के रूप में उभर रहा है।

विदेश मंत्रालय का कड़ा संदेश
गुरुवार को विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने स्पष्ट रूप से कहा,
“हमें उम्मीद है कि तुर्की पाकिस्तान को आतंकवाद पर समर्थन बंद करने को कहेगा। भारत और तुर्की के रिश्ते आपसी चिंताओं के प्रति संवेदनशीलता पर आधारित होने चाहिए।”
इस बयान को राजनयिक भाषा में एक सख्त चेतावनी के रूप में देखा जा रहा है। भारत यह संकेत दे रहा है कि वह अब तुर्की के दोहरे रवैये को बर्दाश्त नहीं करेगा।
#WATCH | Delhi: On Turkey, MEA spokesperson Randhir Jaiswal says, "We expect Turkey to strongly urge Pakistan to end its support to cross-border terrorism and take credible and verifiable actions against the terror ecosystem it has harboured for decades. Relations are built on… pic.twitter.com/yD1dtEtG77
— ANI (@ANI) May 22, 2025
नागरिक उड्डयन सुरक्षा ब्यूरो की कार्रवाई: सेलेबी एयरपोर्ट सर्विसेज पर गिरी गाज
भारत सरकार ने हाल ही में एक बड़ा कदम उठाते हुए सेलेबी एयरपोर्ट सर्विसेज इंडिया प्रा. लि. की सुरक्षा मंजूरी (security clearance) तत्काल प्रभाव से रद्द कर दी।
इस कंपनी के तुर्की कनेक्शन को देखते हुए, यह निर्णय राष्ट्रीय सुरक्षा के हित में लिया गया है।
इस पर प्रतिक्रिया देते हुए विदेश मंत्रालय ने बताया कि तुर्की दूतावास से इस विषय पर चर्चा हुई है, लेकिन निर्णय स्वतंत्र रूप से नागरिक उड्डयन सुरक्षा ब्यूरो द्वारा लिया गया था।

व्यापारिक मोर्चे पर तुर्किये का बहिष्कार
भारत में व्यापारियों और आयातकों ने तुर्की के उत्पादों — जैसे सेब, संगमरमर, और घरेलू सजावट वस्तुओं — का बहिष्कार शुरू कर दिया है। कई व्यापार संघों ने बयान जारी कर तुर्की से आने वाले आयात बंद करने की सिफारिश की है। सोशल मीडिया पर भी #BoycottTurkey ट्रेंड कर रहा है।
शैक्षणिक संस्थानों का भी बहिष्कार में योगदान
केवल व्यापार जगत ही नहीं, भारत के कई प्रमुख शैक्षणिक संस्थानों ने भी तुर्किये के साथ चल रहे शोध, छात्र विनिमय और शैक्षणिक अनुबंधों को रद्द करना शुरू कर दिया है। विश्वविद्यालयों ने कहा है कि वह किसी ऐसे देश से जुड़ाव नहीं रख सकते जो भारत की सुरक्षा और संप्रभुता के विरुद्ध खड़ा हो।