बांग्लादेश: बांग्लादेश में मौजूदा कार्यवाहक सरकार के मुख्य सलाहकार मोहम्मद यूनुस अब राजनीतिक अस्थिरता और सामाजिक तनाव के बीच खुद को असहाय महसूस कर रहे हैं। BBC बांग्ला की रिपोर्ट के अनुसार यूनुस ने छात्र नेतृत्व वाली नेशनल सिटीजन पार्टी (NCP) के प्रमुख नाहिद इस्लाम से बातचीत में स्वीकार किया कि वे अपने पद से इस्तीफा देने पर गंभीरता से विचार कर रहे हैं।
नाहिद इस्लाम के मुताबिक, “हमने आज सुबह से ही यूनुस के इस्तीफे की खबरें सुनीं, इसलिए मैं उनसे मिलने गया। उन्होंने स्पष्ट किया कि मौजूदा हालात में काम करना कठिन है और वे इस पर सोच रहे हैं।” यूनुस ने यह भी स्पष्ट किया कि जब तक प्रमुख राजनीतिक दलों के बीच सहमति नहीं बनती, वे शासन नहीं चला सकते।

हिंसा, चोरी और अल्पसंख्यकों पर हमले बने संकट की जड़
हाल के सप्ताहों में देशभर में हिंसा, साम्प्रदायिक तनाव और चोरी की घटनाओं में भारी बढ़ोतरी देखी गई है। इन घटनाओं पर सरकार की निष्क्रियता को लेकर जनता और छात्र संगठनों में असंतोष फैल रहा है। यूनुस प्रशासन पर यह आरोप भी लग रहा है कि वह अल्पसंख्यकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने में विफल रहा है।
NCP का नेतृत्व और ‘अगस्त क्रांति’ की उम्मीदें
NCP, जिसे फरवरी में यूनुस के समर्थन से ताकत मिली थी, अब उनके खिलाफ सख्त रुख अपना रही है। संयोजक नाहिद इस्लाम ने यूनुस से आग्रह किया कि वे अगस्त क्रांति की भावना को न भूलें और जनआंदोलन की उम्मीदों पर खरा उतरें। “देश की सुरक्षा के लिए मजबूत बने रहना अब उनकी ज़िम्मेदारी है,” उन्होंने कहा।
चुनाव आयोग पर आरोप, BNP की मिलीभगत का मुद्दा
बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (BNP) दिसंबर 2025 तक आम चुनाव कराने की मांग कर रही है। वहीं, NCP नेताओं ने मौजूदा चुनाव आयोग पर पक्षपात का आरोप लगाते हुए इसे ‘BNP का पार्टी कार्यालय’ करार दिया है। बुधवार को हुए प्रदर्शन में उन्होंने घोषणा की कि वे इस चुनाव आयोग के अंतर्गत किसी भी चुनाव में हिस्सा नहीं लेंगे।

BNP की ओर से एक ‘छोटी सलाहकार परिषद’ के गठन की मांग की गई है, जिसमें विवादित चेहरों जैसे महफूज, आसिफ और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार खलीलुर रहमान को हटाने की मांग शामिल है।
राजनीतिक दलों में संवादहीनता बनी सबसे बड़ी चुनौती
यूनुस का मानना है कि जब तक राजनीतिक दल किसी सामान्य सहमति पर नहीं पहुंचते, तब तक वह प्रभावी ढंग से काम नहीं कर सकते। इस स्थिति में उनका इस्तीफा देश की राजनीति में एक बड़ा मोड़ बन सकता है।