Saturday, July 26, 2025
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पीएम मोदी का पहला पॉडकास्ट इंटरव्यू: ‘मैं भी इंसान हूं, मुझसे भी होती हैं गलतियां’

नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुरुवार को जेरोधा के को-फाउंडर निखिल कामत के पॉडकास्ट इंटरव्यू में कई महत्वपूर्ण बयान दिए। यह प्रधानमंत्री का पहला पॉडकास्ट इंटरव्यू था। उन्होंने अपनी गलतियों को स्वीकार करते हुए कहा, “मैं भी एक सामान्य मनुष्य हूं, देवता नहीं। मुझसे भी गलतियां होती हैं।” प्रधानमंत्री ने राजनीति में मिशन की भावना को प्रमुख बताते हुए कहा कि राजनीति में एंबीशन के बजाय मिशन लेकर आना चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि राजनीति में लगातार अच्छे और नए लोगों का आना जरूरी है।

राजनीति में मिशन की जरूरत

इंटरव्यू में प्रधानमंत्री से उनके पहले और दूसरे कार्यकाल के बीच के अंतर के बारे में पूछा गया। इस पर उन्होंने कहा, “पहले कार्यकाल में लोग मुझे समझने की कोशिश कर रहे थे, और मैं भी दिल्ली की कार्यशैली को समझ रहा था।” जब उनसे यह पूछा गया कि किसी युवा को राजनीति में आने के लिए क्या संदेश देना चाहेंगे, तो उन्होंने जोर देकर कहा कि राजनीति में आने वाले युवाओं को मिशन की भावना से प्रेरित होना चाहिए।

विश्व शांति पर बयान

प्रधानमंत्री मोदी ने वैश्विक संघर्षों पर भारत के रुख को स्पष्ट किया। उन्होंने कहा, “हमने हमेशा कहा है कि हम तटस्थ नहीं हैं। मैं शांति के पक्ष में हूं।” उनके इस बयान ने भारत की विदेश नीति और शांति की वकालत को लेकर उनके दृष्टिकोण को दोहराया।

जीनोम सीक्वेंसिंग डेटा का विमोचन

इसी दिन प्रधानमंत्री मोदी ने 10,000 नागरिकों के जीनोम सीक्वेंसिंग डेटा का विमोचन किया। यह डेटा इंडिया बायोलॉजिकल डेटा सेंटर में उपलब्ध कराया गया है। प्रधानमंत्री ने इसे जैव प्रौद्योगिकी अनुसंधान के क्षेत्र में एक मील का पत्थर बताया। “मुझे गर्व है कि देश के 20 से अधिक प्रतिष्ठित अनुसंधान संस्थानों ने इस परियोजना में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है,” उन्होंने कहा।

प्रधानमंत्री ने बताया कि जीनोम इंडिया परियोजना को पांच वर्ष पहले मंजूरी मिली थी। कोविड महामारी की चुनौतियों के बावजूद भारतीय वैज्ञानिकों ने अथक प्रयासों से इसे पूरा किया। यह डेटाबेस भारत के असाधारण आनुवंशिक विविधता को दर्शाता है और जैव प्रौद्योगिकी अनुसंधान के लिए नई संभावनाएं खोलेगा।

जीनोम परियोजना में वैज्ञानिकों का योगदान

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि आईआईटी, वैज्ञानिक, सीएसआईआर और जैव प्रौद्योगिकी अनुसंधान एवं नवाचार केंद्र जैसे 20 से अधिक संस्थानों ने इस शोध में भाग लिया है। उन्होंने इसे शोध की दुनिया में एक ऐतिहासिक कदम बताया।

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