पिलानी: बीईटी – फैकल्टी डेवलपमेंट प्रोग्राम के दूसरे दिन बुधवार को बिरला शिशु विहार, पिलानी में क्रिटिकल थिंकिंग एंड क्रिएटिव थिंकिंग व एआई के जिम्मेदार और नैतिक उपयोग पर कार्यशाला का आयोजन किया गया।
प्रथम सत्र में “आलोचनात्मक सोच और रचनात्मक सोच” विषय पर शालिनी नायर द्वारा विस्तार से बताया गया। शालिनी नायर ने बताया कि आलोचनात्मक सोच हमारे सामने प्रस्तुत की गई जानकारी पर स्पष्ट और तार्किक रूप से विचार करने की क्षमता है। रचनात्मक सोच नए, अनोखे या उपयोगी विचारों को उत्पन्न करने के बारे में है। महान नवप्रवर्तक आलोचनात्मक सोच और रचनात्मक सोच को जोड़ते हैं। पुरानी दुनिया के दृष्टिकोणों को नई दुनिया के विचारों के साथ। छात्रों को हर चीज़ पर सवाल उठाने के लिए प्रोत्साहित करें, छात्रों की जिज्ञासा को सक्रिय करें, प्रोजेक्ट-आधारित शिक्षा को शामिल करें, विविध दृष्टिकोण प्रदान करें, आलोचनात्मक लेखन पर कार्य सौंपें जिससे छात्रों की अध्यापन के प्रति रूचि बढ़े।
कार्यशाला का दूसरा सत्र “एआई का जिम्मेदार और नैतिक उपयोग” (एक व्यावहारिक कार्यशाला) विषय पर आकांक्षा अरोड़ा द्वारा आयोजित किया गया। कार्यशाला की प्रवक्ता आकांक्षा अरोड़ा ने बताया कि नैतिक एआई सही काम करने के बारे में है और इसका संबंध मूल्यों और सामाजिक अर्थशास्त्र से है। जिम्मेदार एआई अधिक सामरिक है। यह उस तरीके से संबंधित है जिस तरह से हम प्रौद्योगिकी और उपकरणों का विकास और उपयोग करते हैं (जैसे विविधता, पूर्वाग्रह)। एआई में मनुष्यों और समाज को लाभ पहुंचाने की अविश्वसनीय क्षमता है, लेकिन इसे सोच-समझकर विकसित किया जाना चाहिए।

इससे पहले विद्यालय के प्राचार्य पवन वशिष्ठ द्वारा प्रवक्ताओं को पुष्प गुच्छ भेंट कर उनका स्वागत किया गया। कार्यशाला के समन्यवक श्यामा प्रसाद दत्ता व मीनल शर्मा ने प्रवक्ताओं का परिचय उपस्थित सदस्यों से करवाया।
कार्यशाला में बिरला शिक्षण संस्थान द्वारा संचालित विद्यालयों बिरला पब्लिक स्कूल पिलानी , बिरला बालिका विद्यापीठ पिलानी, बिरला स्कूल पिलानी, बिरला पब्लिक स्कूल किशनगढ़, बिरला पब्लिक स्कूल गंगानगर के शिक्षकों ने भाग लिया ।