नई दिल्ली: भारत और रूस की मित्रता कोई नई नहीं है। दोनों देशों के बीच दशकों से चली आ रही यह दोस्ती वैश्विक मंच पर कई महत्वपूर्ण मोड़ों पर परखी गई है। कोविड महामारी के दौरान भारत और रूस की मित्रता ने एक बार फिर दुनिया को अपना लोहा मनवाया। इसी मित्रता का एक और उदाहरण हाल ही में देखने को मिला जब रूस ने भारत को कोयले से लदी दो ट्रेनें भेजी हैं। यह कदम न केवल दोनों देशों के व्यापारिक रिश्तों को मजबूती देगा, बल्कि उनकी अर्थव्यवस्था को भी नई ऊंचाईयों पर ले जाएगा।
मॉस्को से आ रहा तोहफा
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मॉस्को यात्रा से पहले रूस ने भारत के लिए कोयले से लदी दो ट्रेनें रवाना की हैं। ये ट्रेनें रूस के साइबेरिया क्षेत्र से होकर ईरान के रास्ते मुंबई पहुंचेंगी। यह पहली बार है जब रूस से इतनी लंबी यात्रा कर ट्रेनें भारत आ रही हैं। इस पहल से भारत और रूस के बीच का व्यापारिक रिश्ता और मजबूत होगा तथा दोनों देशों की अर्थव्यवस्था को बूस्ट मिलेगा।
क्या है INSTC कॉरिडोर?
भारत और रूस के बीच शुरू हुई इस रेल सेवा ने दोनों देशों के व्यापार को नए स्तर पर पहुंचा दिया है। यह सेवा इंटरनेशनल नॉर्थ साउथ ट्रांसपोर्ट कॉरिडोर (INSTC) के तहत आती है। INSTC एक 7200 किलोमीटर लंबा मल्टी-मोड नेटवर्क है, जिसमें रेल, रोड और समुद्री मार्ग शामिल हैं। यह कॉरिडोर रूस और भारत को जोड़ता है और इसके माध्यम से कजाखिस्तान, तुर्कमेनिस्तान और ईरान सहित 10 देशों के बीच व्यापार आसान हो जाएगा।
क्यों खास है यह रूट?
- यह रूट रूस और भारत को जोड़ता है।
- यह रूट 10 देशों को जोड़ता है, जिसमें कजाखिस्तान, तुर्कमेनिस्तान और ईरान जैसे देश शामिल हैं।
- इस कॉरिडोर में जहां रेलवे ट्रैक है वहां ट्रेन चलेगी और जहां समुद्री रास्ता है वहां जहाजों के जरिए माल पहुंचाया जाएगा।
कैसे इकोनॉमी को मिलेगी रफ्तार?
ईरान के चाबहार बंदरगाह के माध्यम से यह रूट रूस को भारत से जोड़ता है। यह रूट स्वेज नहर के मुकाबले 30% सस्ता और 40% छोटा है, जिससे वक्त और पैसे दोनों की बचत होगी। इस कॉरिडोर के माध्यम से जुड़े 10 देशों के बीच व्यापार आसान हो जाएगा। माल ढुलाई में कम समय और कम लागत लगेगी, जिससे आर्थिक विकास को बढ़ावा मिलेगा।
यूक्रेन युद्ध के चलते रूस को समुद्री व्यापार पर प्रतिबंधों का सामना करना पड़ा, ऐसे में यह गलियारा आर्थिक और रणनीतिक दृष्टिकोण से और भी महत्वपूर्ण हो गया है। इसके साथ ही, स्वेज नहर के विकल्प के रूप में इस कॉरिडोर को देखा जा रहा है, जिससे व्यापार की सुविधाएं बढ़ जाएंगी।
स्वेज नहर का विकल्प
INSTC स्वेज नहर का एक विकल्प बन सकता है। स्वेज नहर से हर दिन लगभग 12 प्रतिशत वैश्विक व्यापार, एक मिलियन बैरल तेल और 8 नेचुरल गैस गुजरती है। ऐसे में इस व्यस्त मार्ग का विकल्प मिलने से व्यापार में आसानी होगी। इसके साथ ही इजरायल-हमास युद्ध के कारण स्वेज नहर को असुरक्षित माना जा रहा है, जिससे इस नए कॉरिडोर का महत्व और बढ़ जाता है। हूती आंतकियों के हमलों का डर भी स्वेज नहर पर बना रहता है। ऐसे में INSTC कॉरिडोर एक महत्वपूर्ण रूट बन सकता है।
भारत इस कॉरिडोर को चीन की महत्वाकांक्षी बेल्ट एंड रोड पहल के विकल्प के रूप में देखता है। यह कॉरिडोर मध्य एशिया और अफ़गानिस्तान से सटे देशों से कारोबार को आसान बनाएगा और देशों को व्यापार के लिए वैकल्पिक मार्ग प्रदान करेगा। इसके माध्यम से भारत मध्य एशिया तक अधिक आसानी से और कम लागत प्रभावी तरीके से पहुंचने में सक्षम हो जाएगा।
इस प्रकार, भारत और रूस के बीच कोयले से लदी ट्रेनों की यह पहल दोनों देशों के बीच व्यापारिक रिश्तों को नई दिशा देगी और उनकी अर्थव्यवस्था को मजबूत करेगी। इसके साथ ही यह अंतरराष्ट्रीय व्यापार के लिए नए अवसरों का द्वार खोलेगी।