तुर्की संसद में भड़का हिंसा का तांडव: तुर्की की संसद शुक्रवार को एक ऐसे दृश्य का गवाह बनी जिसने देश और दुनिया को हिलाकर रख दिया। सत्ता पक्ष और विपक्ष के सांसदों के बीच हुई हिंसक झड़प में संसद सदन खून से लथपथ हो गया। इस घटना का वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है, जिसमें सांसद एक-दूसरे पर लात-घूंसे बरसाते हुए स्पष्ट रूप से दिख रहे हैं।
विवाद की जड़: जेल में बंद विपक्षी सांसद की रिहाई
हिंसा का मुख्य कारण एक जेल में बंद विपक्षी सांसद कैन अटाले की रिहाई की मांग थी। विपक्षी दल वर्कर्स पार्टी ऑफ तुर्की के सदस्य अहमत सिक ने सदन में अटाले की रिहाई की मांग उठाई, जिसके बाद सत्ता पक्ष की एकेपी पार्टी के सांसदों ने इस पर कड़ी आपत्ति जताई। बहस के दौरान तनाव इतना बढ़ गया कि बात हाथापाई तक पहुंच गई।
आतंकी कहने पर भड़का विवाद
अहमत सिक ने अपने भाषण में सत्तारूढ़ एकेपी पार्टी पर आरोप लगाया कि वह अपने विरोधियों को आतंकी करार देती है। उन्होंने कहा, “हमें आश्चर्य नहीं है कि आप कैन अटाले को आतंकी कहते हैं। आप हर उस व्यक्ति को आतंकी कहते हैं, जो आपका पक्ष नहीं लेता। सबसे बड़े आतंकी तो वे हैं, जो इन सीटों पर बैठे हैं।” सिक के इस बयान के बाद सत्ता पक्ष के सांसदों का पारा चढ़ गया और उन्होंने सिक पर हमला कर दिया।
संसद में बही खून की धारा
सत्ता पक्ष और विपक्ष के सांसदों के बीच हुई इस हिंसक झड़प में कई सांसद घायल हुए। वीडियो में देखा जा सकता है कि संसद की सीढ़ियों पर खून बिखरा पड़ा है। एक महिला सांसद भी इस घटना में घायल हुई हैं।
कौन हैं कैन अटाले?
कैन अटाले को 2013 में हुए राष्ट्रव्यापी प्रदर्शन के दौरान सरकार को उखाड़ फेंकने की कोशिश के आरोप में 2022 में 18 साल की सजा सुनाई गई थी। जेल में होने के बावजूद उन्हें मई 2023 में सांसद चुना गया था, लेकिन संसद ने उनकी सदस्यता रद्द कर दी थी। हालांकि, इसी महीने की एक अगस्त को कोर्ट ने उनके निष्कासन को अमान्य घोषित किया था।
तुर्की की राजनीति में एक नया अध्याय
तुर्की की संसद में हुई इस हिंसक घटना ने देश की राजनीति में एक नया अध्याय जोड़ दिया है। यह घटना दिखाती है कि तुर्की में राजनीतिक ध्रुवीकरण कितना गहरा है और विपक्षी दलों और सत्ता पक्ष के बीच कितना तनाव है।
विश्व समुदाय की प्रतिक्रिया
तुर्की संसद में हुई हिंसा की निंदा विश्व समुदाय ने की है। कई देशों ने तुर्की सरकार से शांति स्थापित करने और हिंसा रोकने का आह्वान किया है।