अमेरिका: राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की टैरिफ नीतियों, कर्मचारियों की छंटनी, मानवाधिकारों में कटौती, और संघीय बजट में प्रस्तावित कटौती के विरोध में अमेरिका के सभी 50 राज्यों में शनिवार को व्यापक प्रदर्शन हुए। यही नहीं, अमेरिका से सटे दो देशों—कनाडा और मैक्सिको—में भी लोगों ने सड़कों पर उतर कर विरोध दर्ज कराया।
‘हैंड्स ऑफ’ नामक इस राष्ट्रव्यापी अभियान के तहत 1,200 से अधिक प्रदर्शन आयोजित किए गए, जिनमें लगभग 150 से अधिक सामाजिक संगठनों ने सक्रिय भागीदारी निभाई। यह आंदोलन सोशल मीडिया के माध्यम से भी तीव्रता से प्रसारित हो रहा है, जिससे ट्रंप प्रशासन पर वैश्विक दबाव और भी अधिक बढ़ता दिख रहा है।

क्यों हो रहा है विरोध?
प्रदर्शनकारियों के अनुसार ट्रंप प्रशासन द्वारा—
- आयात शुल्क (टैरिफ) में वृद्धि
- कर्मचारियों की छंटनी
- संघीय सेवाओं में बजट कटौती
- स्वास्थ्य बीमा और सामाजिक सुरक्षा में कटौती
- LGBTQ+ और मानवाधिकारों की अनदेखी
जैसे निर्णय आम नागरिकों की आजीविका और जीवन स्तर पर प्रतिकूल असर डाल रहे हैं।
#WATCH | Washington, US | Large number of protesters hold demonstrations against the Trump administration's policies and executive orders. pic.twitter.com/J50I5hOCcd
— ANI (@ANI) April 5, 2025
अंतरराष्ट्रीय दायरे में फैला विरोध
अमेरिका के बाहर भी यह आंदोलन गूंजा। कनाडा और मेक्सिको में अमेरिका की नीतियों के खिलाफ विरोध प्रदर्शन आयोजित किए गए। आयोजकों ने बताया कि ओटावा, टोरंटो, मॉन्ट्रियल, मेक्सिको सिटी और ग्वाडलजारा जैसे शहरों में लोगों ने सड़कों पर उतर कर ‘हैंड्स ऑफ’ का नारा लगाया, जिसका आशय था—“हमारे अधिकारों से दूर रहो।”
#WATCH | Washington, US | A protestor says, "…The extreme tariffs that Trump announced are a wake-up call to Americans and people all around the world to understand that he is a destructive force…His policies are not good for Americans and allies like India. We should be… pic.twitter.com/RhhOC4RkiO
— ANI (@ANI) April 5, 2025
विरोध में उठी मुखर आवाजें
- एक प्रदर्शनकारी ने महात्मा गांधी का हवाला देते हुए कहा, “आज हम भी अपने महासागर और नमक के लिए लड़ रहे हैं। यह आर्थिक उपनिवेशवाद का नया रूप है।”
- एक अन्य प्रदर्शनकारी ने कहा, “मैं कोलकाता में रहा हूं, जहां देवी काली का वास है। आज वाशिंगटन स्मारक पर हम कह रहे हैं कि एलन मस्क और डोनाल्ड ट्रंप इतिहास में अपराधियों के रूप में याद किए जाएंगे।”
- कई लोगों ने ट्रंप को ‘तानाशाही मानसिकता वाला राष्ट्रपति’ और ‘कठपुतली’ कहकर संबोधित किया।
बजट कटौती और कर्मचारी बर्खास्तगी पर नाराज़गी
ट्रंप प्रशासन और सरकारी दक्षता विभाग (DOGE) के निदेशक एलन मस्क पर भी लोगों का गुस्सा फूटा। प्रदर्शनकारियों ने कहा कि संघीय बजट में कटौती और कर्मचारियों की छंटनी का सीधा असर आम जनता पर पड़ रहा है। कई लोग अपनी नौकरियां, चिकित्सा सेवाएं, और सामाजिक सुरक्षा गवां चुके हैं।
#WATCH | Washington, US | A protestor says, "I am very inspired by Mahatma Gandhi. Today, I am here because it is our ocean and our salt…As for world commerce and world exchange, we have so much to give to each other…This greed of me first, my country first, my products first… pic.twitter.com/dlpv4golUT
— ANI (@ANI) April 5, 2025
भारत और अन्य देशों पर असर की आशंका
ट्रंप द्वारा घोषित व्यापक व्यापार टैरिफ से भारत जैसे उभरते लोकतंत्रों पर भी असर पड़ने की आशंका जताई गई। एक प्रदर्शनकारी ने उम्मीद जताई कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ट्रंप से संवाद कर उन्हें समझाएंगे कि ऐसे टैरिफ से अमेरिका, भारत और अन्य विकासशील देशों को भारी नुकसान हो सकता है।

वैश्विक बाजार में हलचल
2 अप्रैल को ट्रंप द्वारा वैश्विक स्तर पर टैरिफ लगाने की घोषणा के बाद से अंतरराष्ट्रीय वित्तीय बाजारों में अस्थिरता देखी गई है। फरवरी में कार्यभार संभालते ही ट्रंप ने नई व्यापार नीति की घोषणा की थी, जिसमें अन्य देशों पर अमेरिका जैसी ही व्यापार दरें थोपने का निर्णय लिया गया।