Friday, March 21, 2025
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झुंझुनू कलक्ट्रेट के बाहर भूख हड़ताल पर बैठे पीड़ित, तीन दिन में गिरा वजन

झुंझुनू, 21 मार्च 2025: अपनी जमीन और मकानों पर कथित अवैध कब्जे के खिलाफ राजेश देवी सैनी और रोशन लाल मेघवाल पिछले तीन दिनों से जिला कलक्टर कार्यालय के सामने भूख हड़ताल पर बैठे हैं। लगातार स्वास्थ्य गिरने के बावजूद प्रशासन द्वारा अब तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई है, जिससे पीड़ितों और उनके समर्थकों में नाराजगी बढ़ती जा रही है।

भूमाफियाओं पर कार्रवाई की मांग

रोशन लाल मेघवाल ने बताया कि वे अपनी पुश्तैनी जमीन पर एक गेराज चलाते थे, जिसे 5 मार्च को कुछ भूमाफिया द्वारा कैंपर गाड़ियों में आकर तोड़ दिया गया। इस घटना के बाद उनकी आजीविका छिन गई है और परिवार भुखमरी के कगार पर पहुंच गया है।

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वहीं, राजेश देवी सैनी का कहना है कि उन्होंने 25 वर्ष पहले जिस जमीन को खरीदा था, उस पर बने मकान को भी जेसीबी और लोडर से तोड़ दिया गया। अब उनका परिवार बेघर हो चुका है, लेकिन प्रशासन उनकी कोई मदद नहीं कर रहा है।

प्रशासन पर निष्क्रियता के आरोप

भूख हड़ताल पर बैठे रोशन लाल मेघवाल और राजेश देवी सैनी ने आरोप लगाया कि जिला प्रशासन की निष्क्रियता के कारण भूमाफिया बेखौफ खुलेआम घूम रहे हैं। उन्होंने कहा कि न्याय न मिलने तक आंदोलन जारी रहेगा और यदि आवश्यक हुआ तो वे इसे और भी तेज करेंगे।

समर्थन में जुटे जनप्रतिनिधि और सामाजिक कार्यकर्ता

पीड़ितों को न्याय दिलाने की मांग को लेकर कई सामाजिक संगठनों और जनप्रतिनिधियों ने भी समर्थन दिया है। समता सैनिक दल के प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र सिंह खंडेलवाल, हरिराम जाट सीथल, एडवोकेट रामावतार जाटावत, श्यामलाल मेघवाल (प्रदेश महासचिव समता सैनिक दल), विकास आल्हा (जिला अध्यक्ष भीम आर्मी), एडवोकेट ओमप्रकाश सेवदा, गोकुल, महेश, महेंद्र सिंह, हरिसिंह आलडिया, बंशीधर, सुभाष चंद्र, दिनेश, ममता गर्वा, माया देवी सैनी, संतोष, सुनीता, संजू देवी, तुलसी देवी, विजय कुमार, विकास मेघवाल, रविंद्र, संजय कुमार, रामसिंह सैनी, अनीता देवी, विजय कुमार सैनी, विद्या देवी सहित दर्जनों लोग मौके पर मौजूद रहे।

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आंदोलन को तेज करने की चेतावनी

प्रदर्शनकारियों ने प्रशासन को चेतावनी दी है कि यदि पीड़ितों को जल्द न्याय नहीं मिला तो आंदोलन को उग्र रूप दिया जाएगा, जिसकी समस्त जिम्मेदारी प्रशासन की होगी। पीड़ितों ने मांग की है कि दोषियों को जल्द गिरफ्तार किया जाए और उनकी जमीन और मकान उन्हें वापस सौंपे जाएं।

झुंझुनू के इस मामले ने जनता के बीच प्रशासन की निष्क्रियता पर सवाल खड़े कर दिए हैं। अब देखना यह होगा कि पीड़ितों को न्याय मिल पाता है या नहीं।

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