झुंझुनूं: पत्रकारों का “पत्रकारिता और न्याय” के समर्थन में आंदोलन अब निर्णायक मोड़ पर पहुंच गया है। जिला प्रशासन की ओर से सूचना केंद्र को एसीबी कोर्ट के लिए स्थानांतरित किए जाने के फैसले के विरोध में पत्रकारों ने प्रशासनिक सूचना ग्रुप यानी पीआरओ व्हाट्सएप ग्रुप से सामूहिक रूप से बाहर होकर अपने असंतोष को सार्वजनिक रूप से प्रकट किया है।
चिड़ावा, नवलगढ़, सूरजगढ़, खेतड़ी, मंडावा, मलसीसर, बिसाऊ, पिलानी, बुहाना, उदयपुरवाटी सहित झुंझुनूं जिले के अधिकांश पत्रकारों ने सूचना केंद्र के मुद्दे पर प्रशासन की हठधर्मिता के खिलाफ एकजुटता दिखाते हुए ग्रुप को छोड़ने का निर्णय लिया। आंदोलनकारी पत्रकारों ने इस कदम को लोकतंत्र के चौथे स्तंभ की गरिमा की रक्षा बताते हुए कहा कि यह निर्णय जिला कलेक्टर को भ्रमित कर एसीबी कोर्ट की स्थापना का प्रस्ताव पारित करवाने की साजिश का परिणाम है। पत्रकारों का आरोप है कि एडीएम अजय कुमार आर्य ने जानबूझकर यह निर्णय करवाया है, जिससे पत्रकारों के अधिकारों और सूचना केंद्र की मूल भावना को आघात पहुंचा है।
हालांकि पीआरओ हिमांशु सिंह ने सोमवार सुबह ग्रुप में सभी पत्रकारों से संयम बरतने और ग्रुप नहीं छोड़ने का अनुरोध किया था। उन्होंने यह भी बताया कि प्रशासन के साथ संवाद चल रहा है। लेकिन पत्रकारों ने तय समयानुसार दोपहर 12 बजे से दोपहर दो बजे के बीच ग्रुप छोड़ने की कार्रवाई कर दी और सरकारी खबरों का बहिष्कार शुरू कर दिया।
प्रेस वार्ताओं से दूरी बनाते हुए पत्रकारों ने प्रशासनिक गतिविधियों की खबरों को पूरी तरह से कवर करना बंद कर दिया है। सोमवार को कार्यवाहक एसपी द्वारा चोर गिरोह के खुलासे को लेकर प्रस्तावित प्रेस कॉन्फ्रेंस में कोई भी पत्रकार शामिल नहीं हुआ।
इसी बीच पूर्व मंत्री राजेंद्र सिंह गुढ़ा सूचना केंद्र पहुंचे और आंदोलन कर रहे पत्रकारों से मुलाकात की। उन्होंने मुख्यमंत्री सचिव शिखर अग्रवाल और जिला कलेक्टर अरुण गर्ग से फोन पर बात करते हुए पत्रकारों के साथ हर स्तर पर समर्थन देने का आश्वासन दिया। गुढ़ा ने प्रशासन पर आरोप लगाते हुए कहा कि यह सब एक पूर्वनियोजित योजना का हिस्सा है, जिसमें पत्रकारों को कमजोर करने का प्रयास किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि सूचना केंद्र के स्थानांतरण का कोई औचित्य नहीं है और सरकार के पास अन्य कई विकल्प मौजूद हैं।

एसएफआई और डीवाईएफआई जैसे छात्र संगठनों ने भी आंदोलन का समर्थन करते हुए पूरे जिले में प्रदर्शन किए। झुंझुनूं मुख्यालय पर प्रदेश उपाध्यक्ष पंकज गुर्जर के नेतृत्व में छात्रों ने रैली निकालकर कलेक्ट्रेट पर शांतिपूर्ण विरोध दर्ज करवाया और कलेक्टर को मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन सौंपा। मलसीसर और नवलगढ़ में भी एसडीएम को अलग-अलग ज्ञापन देकर सूचना केंद्र को यथावत रखने की मांग की गई।
पत्रकारों के आंदोलन को विभिन्न संगठनों, सामाजिक कार्यकर्ताओं और राजनीतिक प्रतिनिधियों का समर्थन मिलना भी शुरू हो गया है। सोमवार तक पांच दर्जन से अधिक संगठनों ने पत्रकारों के समर्थन में वक्तव्य जारी किया। इनमें कांग्रेस जिलाध्यक्ष दिनेश सुंडा, भामरवासी सरपंच कमला जानूं, सामाजिक कार्यकर्ता मेहर कटारिया, किसान नेता कुरड़ाराम जाखड़ सहित अनेक लोग शामिल हैं।
वहीं, सूचना केंद्र को लेकर स्टूडेंट फेडरेशन ऑफ इंडिया द्वारा भी विशेष रूप से रैली आयोजित की गई। संगठन ने प्रशासन के निर्णय को छात्रों के भविष्य के साथ खिलवाड़ बताया है। प्रदर्शन के दौरान छात्र नेताओं ने कहा कि यह स्थान जिले के सैकड़ों प्रतियोगी परीक्षार्थियों, पुस्तक प्रेमियों और युवाओं के लिए शिक्षा का मुख्य केंद्र रहा है। इस वाचनालय और पुस्तकालय को हटाना एक जनविरोधी और गैर जिम्मेदाराना निर्णय है।
छात्रों ने स्पष्ट किया कि यदि प्रशासन अपनी योजना को वापस नहीं लेता है तो उग्र आंदोलन शुरू किया जाएगा। कलेक्टर के माध्यम से मुख्यमंत्री को भेजे गए ज्ञापन में छात्रों ने यह मांग की है कि किसी भी बदलाव से पहले छात्रों और पाठकों से संवाद कर वैकल्पिक समाधान सुनिश्चित किया जाए।